आइएमएफ के कोटा सुधारों में विलंब पर भारत ने जताई चिंता
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) में कोटा सुधार लागू करने में विलंब पर भारत ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दो टूक कहा है कि इन सुधारों के अभाव में मुद्राकोष अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने में विफल साबित होगा।
लीमा (पेरू)। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) में कोटा सुधार लागू करने में विलंब पर भारत ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दो टूक कहा है कि इन सुधारों के अभाव में मुद्राकोष अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने में विफल साबित होगा।
यहां आइएमएफ की अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक एवं वित्त समिति (आइएमएफसी) के पूर्ण सत्र में जेटली बोले कि इस ग्लोबल संगठन मेंकोटा और संचालन स्तर पर सुधार को यदि लागू नहीं किया गया तो इससे संगठन अपनी प्रतिबद्धता पूरी नहीं कर पाएगा।
आइएमएफ कोटा सुधारों का मकसद उभरती अर्थव्यवस्थाओं को और आवाज के साथ ज्यादा मताधिकार देना है। कोटा सुधार संबंधी प्रस्ताव लागू हुए तो भारत शीर्ष दस मताधिकार वाले देशों में शामिल हो जाएगा। जबकि चीन तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। फिलहाल आइएमएफ में भारत का मताधिकार कोटा 2.34 फीसद है। चीन के लिए यह 3.81 फीसद है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ग्लोबल इकोनॉमी में आइएमएफ की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए सुधार व कोटा से जुड़ी 14वीं सामान्य समीक्षा को लागू करने में हो रही अप्रत्याशित देरी पर चिंता जताई। जेटली ने कहा कि आइएमएफ ने ग्लोबल अर्थव्यवस्था के लिए जो परिदृश्य पेश किया है वह बहुत उत्साहित नहीं करता है। भारत के निर्यात पर भी इसका असर पड़ेगा। भारत ने लगातार दो साल सामान्य से कम मानसून की स्थिति झेली है। इन चुनौतियों के बावजूद बीते साल उसकी आर्थिक विकास दर 7.3 फीसद रही। वित्त वर्ष 2013-14 में यह 6.9 फीसद रही थी। चालू वित्त वर्ष में इसके और बेहतर होने की उम्मीद है।
भारतीय अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए कि वित्त मंत्री बोले कि सरकार राजकोषीय समेकन के प्रति प्रतिबद्ध है। 2014-15 में भारत का चालू खाते का घाटा (सीएडी) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.3 फीसद पर आ गया जो दो वर्ष पहले 4.8 फीसद के आसपास था। इसी तरह दो वर्ष पहले भारत में महंगाई दहाई अंकों में थी। अब यह घटकर 3.7 फीसद पर आ चुकी है। भारत तेल और जिंसों की कीमतों में नरमी का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर व सिंचाई में निवेश बढ़ाकर कर रहा है। सब्सिडी को व्यापक स्तर पर तर्कसंगत बनाया गया है। दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत 18.5 करोड़ खाते खोले गए हैं।