ग्रीस संकट से बेअसर रहेगा भारतः सरकार, विश्लेषक
विश्लेषकों के मुताबिक घरेलू बाजार की दिशा मानसूनी बारिश और संसद की कार्रवाई पर निर्भर करेगी।
नई दिल्ली। ग्रीस की ओर से राहत पैकेज का प्रस्ताव खारिज किए जाने के बाद बाजार में फैली तमाम आशंकाओं के बीच सरकार ने कहा कि भारत इस संकट से पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन, विदेशी निवेश की निकासी हुई तो रुपए पर असर हो सकता है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने सोमवार को कहा कि फिलहाल यह सब कुछ समय तक जारी रहेगा। हम कम-से-कम तीन तरीकों से काफी हद तक सुरक्षित हैं। हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत है। हमारे पास विदेशी मुद्रा का विशाल भंडार है। हमारी अर्थव्यवस्था अब भी निवेश का आकर्षक केंद्र है।
ग्रीस की जनता ने जनमत संग्रह में के तहत राहत पैकेज की शर्तों को खारिज कर दिया है। इस वजह से आशंका बढ़ गई है कि ग्रीस यूरो जोन से बाहर हो जाएगा। सुब्रमण्यम ने कहा,'जहां तक संकट का सवाल है, यह लंबे समय तक चलेगा।
बाजार के लिए घरेलू फैक्टर अहम
एचएसबीसी ने एक रिपोर्ट में कहा है, 'हम असमंजस की स्थिति में है। ग्रीक सरकार, यूरोग्रुप और यूरोपीयन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) की प्रतिक्रियाएं अहम होंगी क्योंकि इससे आगे की स्थिति तय होगी।'लेकिन, विश्लेषकों का कहना है कि ग्रीस संकट से भारत को कुछ भी लेना-देना नहीं है क्योंकि भारतीय बाजार की दिशा मानसून, कॉर्पोरेट की तिमाही आय और आगामी संसदीय सत्र जैसी चीजों से तय होगी। जेपी मॉर्गन के जहांगीर अजीज ने कहा, 'वाकई ग्रीस का कोई असर नहीं होने जा रहा है, बल्कि अहम फैक्टर घरेलू हैं, मसलन मानसूनी बारशि और संसद की कार्रवाई।
भारत को होगा फायदा
ग्रीस संकट के कारण कच्चे तेल की कीमतें कम होंगी और डॉलर मजबूत होगा। यह स्थिति भारत के लिए फायदेमंद साबित होगी। सस्ता तेल सीधे तौर पर अर्थव्यस्था को फायदा पहुंचाएगा क्योंकि देश में जरूरत का करीब 75 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करना पड़ता है। दूसरी तरफ डॉलर में लगातार मजबूती आने पर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दर में बढ़ोतरी नहीं करेगा। ऐसी स्थिति में अधिक-से-अधिक निवेशक भारत का रुख करेंगे।ब्याज दरों में कटौती संभव
एंबिट इन्वेस्टमेंट अडवाइजर्स के मुताबिक आर्थिक नजरिए से भारत को ग्रीस से कोई खतरा नहीं है। यदि पर्याप्त मात्रा में मानसूनी बारिश हुई और कच्चे तेल के दाम कम रहे तो रेपो रेट में 0.25-0.50 प्रतिशत कटौती की जा सकती है। बाजार में भारी उतार-चढ़ाव की आशंका भी नहीं है।इक्विरस सिक्यॉरिटीज के कार्यकारी निदेशक और इक्विटीज प्रमुख पंकज शर्मा का कहना है कि ग्रीस क्या निर्णय लेता है, उसकी अब अहमियत नहीं रह गई। 3-4 साल पहले यह बात जरूर मायने रखती थी। यूरोपियन यूनियन में न केवल ग्रीस का योगदान कम है, बल्कि वहां संस्थागत समस्याओं को भी बढ़ावा मिला है।