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ऑटो कंपनियों के लिए नहीं हुआ कारोबार करना आसान

देश का ऑटोमोबाइल उद्योग ही यहां के नियमों व नियामकों के मकड़जाल से परेशान है।

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2015 09:13 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2015 09:14 PM (IST)
ऑटो कंपनियों के लिए नहीं हुआ कारोबार करना आसान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार वैसे तो पूरी दुनिया के उद्योगों के लिए भारत में कारोबार करने की राह आसान कर रही है, लेकिन देश का ऑटोमोबाइल उद्योग ही यहां के नियमों व नियामकों के मकड़जाल से परेशान है।

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देश की ऑटोमोबाइल कंपनियों पर निगरानी के लिए आधा दर्जन से ज्यादा सिर्फ केंद्र सरकार के मंत्रालय लगाए गए हैं।

इसके अलावा राज्यों के भी अपनी कायदे कानून हैं। आज ऑटोमोबाइल कंपनियों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह मौजूदा स्थिति को दुरुस्त करते हुए केंद्र व राज्यों के स्तर पर एक ही एजेंसी का गठन करे जो उनके लिए सभी तरह के नियम बनाए।

नियमों में हो स्पष्टता

सोसाइटी ऑफ इंडिया ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री (सियाम) के अध्यक्ष विनोद दसारी ने शुक्रवार को यहां बताया कि अब समय आ गया है कि ऑटो कंपनियों के लिए एक ही नियामक एजेंसी हो। अभी ऑटो कंपनियों को कई मंत्रालयों के नियमों का पालन करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि ऑटो उद्योग ईंधन गुणवत्ता को लेकर सख्त से सख्त कानून का पालन करने के लिए तैयार है, लेकिन इसमें पूरी तरह से स्पष्टता होनी चाहिए और सरकार के विभिन्न आदेशों में विरोधाभास नहीं होनी चाहिए।

कई मंत्रालयों के काटने होते हैं चक्कर

दरअसल, अगर ऑटो उद्योग पर लागू नियमों की फेहरिस्त देखे तो साफ हो जाता है कि इन कंपनियों को कितने सारे मंत्रालयों के साथ सामंजस्य बिठाना पड़ता है। मसलन, पेट्रोल, डीजल, सीएनजी व एलपीजी की गुणवत्ता का मानक पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस तैयार करता है। बिजली चलित वाहनों के लिए बिजली मंत्रालय के नियम चलते हैं।

आजकल कुछ कंपनियों ने सोलर पावर से वाहन चलाने पर काम शुरू किया है तो उन्हें गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय से अनुमति लेनी पड़ रही है। ऑटो कंपनियों के लिए सड़क यातायात मंत्रालय भी कई नियम तैयार करता है।

खाद्य मंत्रालय के तहत काम करने वाले भारतीय मानक ब्यूरो भी मानक तैयार करने के लिए नियम बनाता है।

निर्यात के लिए इन्हें वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के नियमों का पालन करना पड़ता है। वाहनों में इस्तेमाल होने वाले स्टील की गुणवत्ता व आपूर्ति के लिए ऑटो कंपनियों को स्टील मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श करना पड़ता है।

कंपनियों को परेशानी

एक ही उद्योग के लिए कई मंत्रालयों की तरफ से अलग-अलग नियम बनाने की वजह से कंपनियों को परेशानी भी होती है। मसलन, देश में बीएस 3 व 4 मानक वाले ईंधनों की उपलब्धता को लेकर काफी भ्रम की स्थिति रही। सरकार का एक विभाग ईंधन मानक तय करता है लेकिन दूसरा विभाग इसकी उपलब्धता को लेकर अनभिज्ञ रहता है।

सितंबर में कारों की बिक्री 9.5 फीसद बढ़ी

सितंबर में घरेलू कार कंपनियों की बिक्री 9.48 फीसद बढ़कर 1,69,590 रही। यह लगातार 11वां महीना है जब कारों की बिक्री में वृद्धि दर्ज की गई है। ब्याज दरों में नरमी और ईंधन के अपेक्षाकृत सस्ते होने से पेसेंजर कार सेगमेंट में ग्रोथ को सहारा मिला।

ऑटोमोबाइल कंपनियों के संगठन सियाम के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान मोटरसाइकिल की बिक्री में गिरावट देखी गई। मोटरसाइकिल की बिक्री 2.87 फीसद घटकर 10,20,237 रही।

कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री 12.07 फीसद बढ़कर 62,845 रही। सभी वाहनों की बिक्री में 0.45 फीसद की गिरावट आई। सितंबर में कुल 1.88 करोड़ वाहनों की बिक्री हुई।

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