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रिजर्व बैंक पर ब्याज दर घटाने का दबाव बढ़ा

महंगाई को लेकर आक्रामक रख के लिए मशहूर रघुराम राजन ने शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर के तौर पर दो साल पूरे कर लिए।

By Test1 Test1Edited By: Published: Fri, 04 Sep 2015 06:15 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2015 09:06 AM (IST)
रिजर्व बैंक पर ब्याज दर घटाने का दबाव बढ़ा

मुंबई । महंगाई को लेकर आक्रामक रख के लिए मशहूर रघुराम राजन ने शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर के तौर पर दो साल पूरे कर लिए। अब उन पर ब्याज दरें घटाने का दबाव बढ़ गया है, जबकि कमजोर मानसून उन्हें ऐसा करने से संभवत: रोकेगा।

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अर्थव्यवस्था में संभावित अपस्फीति यानी चीजों के दाम थोड़ा-बहुत बढ़ने के बजाए तेजी से घटने को लेकर वित्त मंत्रालय की ओर से सचेत किए जाने के साथ ही राजन पर ब्याज दरें कम करने का दबाव बढ़ रहा है। इसके अलावा विकास दर अनुमान से कम रहने, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मंदी जैसी स्थिति और शेयर बाजार में गिरावट ब़़ढने से भी रिजर्व बैंक के गवर्नर पर नीतिगत ब्याज दरें घटाने का दबाव है। रघुराम गोविंद राजन ने 4 सितंबर, 2013 को 23वें गवर्नर के तौर पर कार्यभार संभाला।

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उस दौरान रपए को संभालने, अत्यधिक चालू खाता घाटे की समस्या हल करने, विकास दर में गिरावट थामने और रेटिंग एजेंसियों की धमकी से निपटने की ब़़डी चुनौती थी। महंगाई दर घटाने में सफल नई जिम्मेदारी संभालने के बाद राजन ने फाइनेंशियल सेक्टर में व्यापक बदलाव के वादे के साथ कई बड़ी घोषणाएं की और पिछले दो वर्षो के दौरान कई बड़े फैसले किए। आरबीआई के गवर्नर खुदरा कीमतों के हिसाब से महंगाई दर घटाकर जुलाई में 3.8 प्रतिशत पर लाने में सफल रहे जो सितंबर, 2013 में 9.8 प्रतिशत पर पहुंच गया था। हालांकि, कुछ चीजें राजन के हाथ से निकलती दिखीं। मसलन, चीन में संकट गहराने के बाद रपए की विनिमय दर में गिरावट और बैंकों में फंसे हुए कर्ज (एनपीए) का अनुपात बढ़ना शामिल है।

हालांकि इन खामियों की तुलना में उनकी उपलब्धियां अधिक हैं। वीटो पर बोल्ड फैसला राजन जब अपना कार्यकाल पूरा कर रहे होंगे तो रिजर्व बैंक के कुछ अधिकारों और स्वायत्ता खोने देने के लिए उन्हें क़़डी आलोचना का सामना करना पड़ेगा क्योंकि उन्होंने प्रस्तावित मौद्रिक नीति समिति में गवर्नर का वीटो अधिकार नहीं रहने का सरकारी फार्मूला स्वीकार कर लिया है।

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