रेलवे का किराया-भाड़ा बढ़ने के आसार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कड़े फैसलों के संकेत के साथ ही रेल बजट में किराये और भाड़े में वृद्धि की संभावनाओं ने जोर पकड़ लिया है। खुद रेलमंत्री सदानंद गौड़ा ने इसके स्पष्ट संकेत दिए हैं। रेलमंत्री के अनुसार इस समय रेलवे की पांच लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं लंबित हैं। इनके लिए हर साल बजट में 2
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कड़े फैसलों के संकेत के साथ ही रेल बजट में किराये और भाड़े में वृद्धि की संभावनाओं ने जोर पकड़ लिया है। खुद रेलमंत्री सदानंद गौड़ा ने इसके स्पष्ट संकेत दिए हैं। रेलमंत्री के अनुसार इस समय रेलवे की पांच लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं लंबित हैं। इनके लिए हर साल बजट में 25-30 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान होता है। इस तरह के अल्प आवंटन से इनके पूरा होने में 45-50 साल का वक्त लगेगा। मौजूदा हालात में देशवासियों के लिए इतना लंबा इंतजार संभव नहीं है। इसलिए धन जुटाने के सारे उपाय किए जाएंगे।
इन उपायों में बजटीय आवंटन तथा निजी निवेश में वृद्धि के अलावा विदेशी निवेश आकर्षित करना तथा किराया-भाड़ा बढ़ाना शामिल हैं। अभी तक रेलवे में निजी निवेश अत्यंत सीमित है, जबकि विदेशी निवेश शून्य है। इस स्थिति को बदलने के लिए जुलाई में पेश होने वाले आम बजट में उपाय किए जा सकते हैं।
जहां तक किराये-भाड़े में वृद्धि का सवाल है तो रेलमंत्री रेल बजट के जरिये इसका एलान कर सकते हैं। वैसे भी यह 16 मई से लंबित है, जब रेलवे बोर्ड ने सभी दर्जो के किरायों में 20 मई से दस फीसदी बढ़ोतरी का निर्णय ले लिया था। लेकिन मोदी सरकार के कार्यभार संभालने से पहले इसे लागू करना उचित नहीं समझा गया था। अब गौड़ा उस निर्णय को रेल बजट के माध्यम से लागू करना चाहेंगे। मई में ईधन समायोजन घटक (एफएसी या फ्यूल एडजस्टमेंट कंपोनेंट) और उपनगरीय ट्रेनों के मासिक सीजन टिकटों (एमएसटी) का किराया बढ़ाने का फैसला भी हुआ था। इन प्रस्तावों को भी जुलाई के पूर्ण रेल बजट में डाला जा सकता है। इस तरह जुलाई में रेल परिवहन महंगा होने के पूरे आसार हैं।
संरक्षा व विस्तार को चाहिए 1.20 लाख करोड़ रुपये
काकोदकर समिति की रिपोर्ट के अनुसार अकेले हादसों पर काबू पाने के लिए रेलवे को पांच सालों में 1.4 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश की जरूरत है। यानी हर साल 20 हजार करोड़ रुपये। पिछले बजट में किराया-भाड़ा बढ़ाकर पवन बंसल ने इसकी आधी राशि का इंतजाम कर दिया था। बाकी आधा पैसा अब गौड़ा जुटाएंगे। संरक्षा के अलावा रेलवे को विस्तार योजनाओं के लिए भी हर साल एक लाख करोड़ चाहिए। इन दोनों मदों में हर साल 1.20 लाख करोड़ की जरूरत है। विस्तार के लिए जरूरी आधी रकम यानी 50 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम गौड़ा बजटीय मदद बढ़वाकर करना चाहते हैं। बाकी की रकम के लिए निजी व विदेशी निवेश का मुंह ताकने के अलावा कोई चारा नहीं है।