जीएसटी, भूमि व श्रम सुधार देंगे अर्थव्यवस्था को रफ्तार
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और भूमि व श्रम जैसे क्षेत्रों में संरचनात्मक सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए जरूरी है।
बीजिंग, प्रेट्र । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और भूमि व श्रम जैसे क्षेत्रों में संरचनात्मक सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए जरूरी है। प्रमुख आर्थिक सुधारों को लागू किए बगैर भारत अपनी पूर्ण क्षमता तक नहीं पहुंच सकता है। अलबत्ता इन सुधारों के बिना भी वह चालू व अगले वित्त वर्ष में 7.5 फीसद की विकास दर हासिल करेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) के एक प्रमुख अधिकारी रानिल मनोहारा सालगाडो ने यह राय जाहिर की है।
आइएमएफ ने मंगलवार को एशिया एवं प्रशांत के लिए अपना रीजनल इकोनॉमिक आउटलुक जारी किया। इसमें कहा गया है कि चीन व जापान की अर्थव्यवस्थाएं अगले दो वर्षो में और अधिक सुस्ती का शिकार बनेंगी। चीन की विकास दर घटकर छह फीसद पर पहुंच जाएगी। इसके बावजूद घरेलू मांग की बदौलत भारत समेत एशिया में ग्रोथ काफी मजबूत स्थिति में रहेगी।
रानिल की मानें तो भले ही भारत के लिए ग्रोथ आउटलुक अनुकूल दिख रहा है, मगर जीएसटी जैसे संरचनात्मक सुधार लागू करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। जीएसटी संविधान संशोधन बिल राज्यसभा में लंबे समय से अटका हुआ है। इसके पास होकर कानून के रूप में लागू होने से देश एकल बाजार बन जाएगा। इससे सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी को बढ़ावा मिलेगा।
आइएमएफ के अधिकारी ने कहा कि भारत अपने विकास की पूरी संभावनाओं को तभी हासिल कर सकता है जब भूमि अधिग्रहण, ऊर्जा क्षेत्र, श्रम बाजार जैसे सेक्टरों में तेजी से सुधार किए जाएं। कुल मिलाकर देश के कारोबारी माहौल को बेहतर बनाना होगा। खास बात यह है कि ऐसा मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में अधिक एफडीआइ आकर्षित करने के लिए करना जरूरी है। तभी मेक इन इंडिया अभियान को सफल बनाया जा सकेगा।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के नियमों में ढील देने जैसी सरकार की कई पहलों का सकारात्मक असर दिख रहा है। इसकी वजह से बीते वर्ष के दौरान सबसे ज्यादा 44 अरब डॉलर का एफडीआइ भारत में आया। वर्ष 2014 में यह आंकड़ा 34 अरब डॉलर का था।