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कैरिज बाय रोड एक्ट लागू किए बिना जीएसटी का लाभ मुश्किल

परिवहन विशेषज्ञों के अनुसार कैरिज बाय रोड एक्ट को सही तरह से लागू किए बगैर अर्थव्यवस्था को जीएसटी का पूरा लाभ मिलना मुश्किल है

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 20 Oct 2016 10:23 AM (IST)Updated: Thu, 20 Oct 2016 10:26 AM (IST)
कैरिज बाय रोड एक्ट लागू किए बिना जीएसटी का लाभ मुश्किल

नई दिल्ली। परिवहन विशेषज्ञों के अनुसार कैरिज बाय रोड एक्ट को सही तरह से लागू किए बगैर अर्थव्यवस्था को जीएसटी का पूरा लाभ मिलना मुश्किल है। दुर्भाग्यवश 2007 में पारित इस कानून के प्रावधानों लागू करने में सरकार विफल रही है। इसकी धारा तीन के तहत सड़क मार्ग से माल ढुलाई के लिए बुकिंग करने वाले हजारों कॉमन कैरियर्स/ट्रांसपोर्ट बुकिंग एजेंट्स/लॉजिस्टिक फर्मो के लिए पंजीकरण अनिवार्य है।

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एक्ट की धारा 7(सी) के अंतर्गत उन्हें हर वर्ष 31 मार्च के बाद चार माह में क्षेत्र के पंजीकरण प्राधिकारी तथा केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्गो से संबधित परिवहन अनुसंधान शाखा या विभाग के समक्ष कारोबार से संबंधित सूचना के साथ रिटर्न दाखिल करना होगा।

कैरिज बाय रोड एक्ट के नियम 2011 में बने थे। नियम 8(1) के फॉर्म-5 में कहा गया है कि, कॉमन कैरियर को निश्चित प्रारूप में अपने कारोबार के विवरण का एक रजिस्टर मेंटेन करना होगा। इसमें तारीख के साथ गुड्स फॉरवार्डिग नोट, पैकेजों की संख्या तथा वजन, सामान कहां से कहां जाना है, कौन-कौन सी वस्तुएं शामिल हैं, उन पर कितना भाड़ा वसूला गया/बाकी है, वगैरह का ब्योरा दिया जाएगा।

कैरिज बाय रोड एक्ट का मकसद सामान को गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए सामान भेजने वाले के प्रति कॉमन कैरियर की जवाबदेही तय करना था। इसका प्राथमिक उद्देश्य देश भर में रोजाना ढोए जाने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के वजन, गंतव्य तथा भाड़े वगैरह के बारे में आंकड़े जुटाना था, ताकि दीर्घकाल में देश के नीति निर्माता तथा योजनाकार इन आंकड़ों के आधार पर देश की परिवहन प्रणाली में सुधार कर थोक मूल्य सूचकांक (होलसेल प्राइस इंडेक्स-डब्लूपीआइ) की भांति थोक सेवा सूचकांक (होलसेल सर्विस इंडेक्स-डब्लूएसआइ) तैयार कर सकें।

मगर कॉमन कैरियर्स/ट्रांसपोर्टर की ताकतवर लॉबी ने सरकार की इस मंशा पर पानी फेर उसे घुटने टेकने को मजबूर कर दिया। परिणामस्वरूप कैरिज बाय रोड एक्ट बनने के नौ साल बाद भी इसे लागू नहीं किया जा सका है।

इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग (आइएफटीआरटी) के अनुसार इक्का-दुक्का को छोड़कर यादातर कॉमन कैरियर्स ने अभी तक अपना पंजीकरण नहीं कराया है। ट्रांसपोर्टरों के प्रति सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रलय का रवैया लचीला है। उन्हें पंजीकृत करने के लिए औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) के तमाम प्रयास बेअसर साबित हो रहे हैं। आइएफटीआरटी के संयोजक एसपी सिंह की मानें तो देश में सड़क मार्ग से होने वाली 85 फीसद वस्तुओं की ढुलाई पर कॉमन कैरियर्स का नियंत्रण है। जीएसटी की कामयाबी के लिए कैरिज बाय रोड एक्ट और इसके नियमों का अनुपालन आवश्यक है। जब तक कॉमन कैरियर्स की संख्या और हजारों करोड़ का कारोबार सरकार के रिकॉर्ड में नहीं आता, तब तक अर्थव्यवस्था जीएसटी के वास्तविक लाभों से वंचित रहेगी।


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