अर्थव्यवस्था को महंगा पड़ेगा वादों, इरादों में फर्कः मूडीज
हालांकि 7.5 फीसदी विकास दर ज्यादा मालूम पड़ती है, लेकिन यह भारत की क्षमता से कम है।
नई दिल्ली। सरकार यदि जरूरत से ज्यादा वादे करती रही और उन्हें पूरा नहीं करती तो आर्थिक विकास दर 7.5 फीसदी से ऊपर जाने गुंजाइश नहीं रहेगी। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज का तो कम से कम यही मानना है।
मूडीज के मुताबिक 7.5 फीसदी विकास दर भी ज्यादा मालूम पड़ती है, लेकिन यह भारत की क्षमता से कम है। एजेंसी का मानना है कि भारत की क्षमता 10 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट हासिल करने की है। जाहिर है, आर्थिक तरक्की उतनी रफ्तार नहीं पकड़ पाई है जितनी पकड़नी चाहिए थी।
एक रिपोर्ट में मूडीज ने कहा है, 'साल 2015 में भारत का निगेटिव आउटपुट बहुत कम दर से घटा है। हालांकि अर्थव्यवस्था में साल 2014 के अंत से बेहतरी आई है, लेकिन ग्रोथ ज्यादा रफ्तार नहीं पकड़ पाई।' फराज सैयद द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है, 'अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे रिकवरी हो रही है, लेकिन सरकार ने जिन सुधारों का वादा किया था, उनकी डिलिवरी में अब तक नाकाम रही और यही सबसे बड़ी बाधा साबित हो रही है। भारत में आपसी राजनीतिक लड़ाई बिजनेस कांफिडेंस को कमजोर कर रही है।'
रिपोर्ट के मुताबिक ऊपरी सदन में बहुमत नहीं होने के कारण सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की कोशिशों को विपक्ष नाकाम कर देता है और प्रस्तावित सुधार अवरुद्घ हो जाते हैं।
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