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अनुकूल टैक्स व्यवस्था के पक्ष में सरकार, बढ़ाएगी निवेश

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अनुकूल टैक्स व्यवस्था का वादा किया है। साथ ही आर्थिक विकास को दोहरे अंक में ले जाने के लिए श्रम कानूनों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कहा है। सरकार अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए निवेश को आकर्षित करने की कोशिशों में जुटी है। उन्होंने

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2015 12:32 AM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2015 01:44 AM (IST)
अनुकूल टैक्स व्यवस्था के पक्ष  में सरकार, बढ़ाएगी निवेश

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अनुकूल टैक्स व्यवस्था का वादा किया है। साथ ही आर्थिक विकास को दोहरे अंक में ले जाने के लिए श्रम कानूनों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कहा है। सरकार अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए निवेश को आकर्षित करने की कोशिशों में जुटी है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का पिछली तारीख से टैक्स लगाने का कोई इरादा नहीं है। देश में कारोबार करने के माहौल को आसान बनाया जाएगा।

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जेटली यहां सीबीआइ की ओर से आयोजित डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर में पहुंचे थे। वह बोले कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर सिर्फ तभी फले-फूलेगा जब निवेश को बढ़ाया जाएगा। टैक्सेशन स्ट्रक्चर को तुलना योग्य बनाने के साथ प्रतिस्पर्धी श्रम व्यवस्था को प्रस्तुत किया जाएगा। पूंजी को प्रतिस्पर्धी लागत में उपलब्ध कराया जाएगा।

उदार बनाना है माहौल

ग्लोबल बिजनेस एंवॉयरमेंट में उपभोक्ताओं के बारे में जेटली ने कहा कि वे अंधराष्ट्रवादी नहीं हैं कि केवल अपने देश से ही चीजें खरीदें। आपका मार्केट ग्लोबल है। यही रोडमैप होना चाहिए, जिसके जरिये भारत को मैन्यूफैक्चरिंग का आधार बढ़ाना है। ग्राहकों को जोड़ना है। नौकरशाहों को बिना किसी डर के तेजी से फैसले लेने की जरूरत है। आर्थिक विकास को दोहरे अंकों में ले जाने के लिए माहौल को उदार बनाने की आवश्यकता है। चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के आठ से साढ़े आठ फीसद की रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है।

कॉरपोरेट टैक्स हों प्रतिस्पर्धी

वित्त मंत्री ने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स स्ट्रक्चर को पूरे विश्व में प्रतिस्पर्धी होना चाहिए। इसीलिए सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स 30 से घटाकर 25 फीसद करने का प्रस्ताव किया है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी कानून संसद में लंबित है। यह वस्तुओं और सेवाओं के बाधामुक्त ट्रांसफर को सुनिश्चित करेगा। फलस्वरूप महंगाई कम होगी, जबकि टैक्स आय और जीडीपी में वृद्धि होगी।

निवेश की कमी पड़ रही भारी

वित्त मंत्री के मुताबिक निवेश की कमी के कारण कृषि और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हाइवे प्रोग्राम धीमे हो गए हैं। रेलवे में भी निवेश नहीं आ रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 70,000 करोड़ रुपये निवेश करने होंगे।

संप्रग पर हमला

पूर्व संप्रग सरकार पर कटाक्ष करते हुए वित्त मंत्री बोले कि कमजोर सरकार और सरकार के बाहर पावर सेंटर किसी तरह की मदद नहीं करते हैं। फैसले लेने की जिम्मेदारी अब राजग सरकार की है क्योंकि 30 साल बाद जनता ने किसी एक पार्टी को बहुमत दिया है। बड़े ग्लोबल निवेश के लिए सरकार ने डिफेंस और रीयल एस्टेट सरीखे सेक्टरों को खोल दिया है।

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