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देश से होगा 900 अरब डॉलर का निर्यात

लंबे इंतजार के बाद मोदी सरकार ने अगले पांच साल के लिए विदेश व्यापार नीति का एलान बुधवार को कर दिया। नई नीति के तहत किए गए उपायों की मदद से सरकार ने साल 2020 तक देश के निर्यात को 900 अरब डॉलर सालाना तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2015 09:30 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2015 09:56 PM (IST)
देश से होगा 900 अरब डॉलर का निर्यात

नई दिल्ली। लंबे इंतजार के बाद मोदी सरकार ने अगले पांच साल के लिए विदेश व्यापार नीति का एलान बुधवार को कर दिया। नई नीति के तहत किए गए उपायों की मदद से सरकार ने साल 2020 तक देश के निर्यात को 900 अरब डॉलर सालाना तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। नीति में निर्यातकों और विशेष निर्यात जोन (एसईजेड) के लिए कई प्रोत्साहनों की घोषणा की गई है। इस नीति के जरिये सरकार ने मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया को प्रोत्साहित करने के उपाय भी किए हैं।

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सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि विदेश व्यापार नीति के तहत किए गए प्रावधानों की निरंतरता बनाए रखने और निर्यातकों व आयातकों को लंबी अवधि की रणनीति बनाने में मदद करने के लिए नीति की अवधि पांच साल तय की गई है। अब हर साल नीति में बदलाव नहीं होंगे। केवल ढाई वर्ष बाद नीति की मध्यावधि समीक्षा होगी। तभी जरूरत होने पर बदलाव किया जाएगा।

कई स्कीमों का एकीकरण

वाणिज्य व उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि पिछली नीतियों के मुकाबले इस बार सभी प्रोत्साहन स्कीमों का विलय दो प्रमुख योजनाओं में कर दिया गया है। अब एक स्कीम वस्तुओं के निर्यात से संबंधित होगी। इसे भारत से वस्तु निर्यात स्कीम (एमईआइएस) और दूसरी भारत से सेवाओं की निर्यात स्कीम (एसईआइएस) कहा गया है। इन दोनों स्कीमों के तहत जारी किसी भी वस्तु या सेवा के लिए कोई शर्त नहीं है। इन दोनों ही स्कीमों के तहत जारी ड्यूटी क्रेडिट स्कि्रप्स व इनके अधीन आयातित माल पूरी तरह हस्तांतरणीय बना दिया गया है। अभी तक निर्यात प्रोत्साहन से जुड़ी अलग-अलग पांच स्कीमें चल रही थीं।

बाजारों का तीन श्रेणियों में वर्गीकरण

इसके अतिरिक्त सरकार ने उन सभी देशों या बाजारों को तीन श्रेणी में बांट दिया है, जिन्हें भारत से निर्यात किया जाता है। पहली श्रेणी परंपरागत बाजारों की है। इसमें अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय संघ के देश आते हैं। इन देशों की संख्या 30 है। दूसरी श्रेणी उभरते बाजारों की है। इसमें पूर्व सोवियत देश, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के मुल्क आते हैं। इस श्रेणी में 139 देश हैं। तीसरी श्रेणी अन्य बाजारों की है जिसमें 70 देश शामिल हैं।

विदेश व्यापार में बढ़ेगी हिस्सेदारी

कृषि उत्पादों के निर्यात पर जोर देते हुए इन उत्पादों को ज्यादा रियायत देने का प्रावधान किया है। साथ ही सरकार ने नीति को मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया से जोड़ने की कोशिश की है। सीतारमण ने कहा कि नई नीति अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारतीय भागीदारी की नई तस्वीर की रूपरेखा खींचती है। वर्ष 2020 तक अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत की अहम हिस्सेदारी होगी। नीति से निर्यात में भारी वृद्धि की उम्मीद बंधाते हुए वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने कहा कि देश से होने वाला वस्तु व सेवाओं का निर्यात अगले पांच वर्ष में बढ़कर 900 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इससे विदेश व्यापार में भारत की हिस्सेदारी मौजूदा दो से बढ़कर 3.5 फीसद हो जाएगी।

एसईजेड को मिलेंगे प्रोत्साहन

सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों यानी एसईजेड की भूमिका और बढ़ाने के लिए नीति में एमईआइएस और एसईआइएस के तहत निर्यात दायित्व में 25 फीसद की कमी कर दी है। ऐसा होने के बाद निवेशकों के लिहाज से एसईजेड और आकर्षक बनेंगे। साथ ही इससे घरेलू पूंजीगत सामान उद्योग को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा एसईजेड की यूनिटों को भी अब विदेश व्यापार नीति के चैप्टर तीन के तहत मिलने वाली रियायतें भी मिलेंगी। एसईजेड क्षेत्र लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था। साल 2012 में एसईजेड पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) लागू होने के बाद से निवेशक इससे दूर हो रहे थे।

राज्यों के साथ सहयोग

केंद्र निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए राज्यों का भी सक्रिय सहयोग लेगा। इसके लिए नीति में एक संगठनात्मक ढांचे का प्रस्ताव भी किया गया है। राज्य सरकारों की भागीदारी के लिए एक एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के गठन का प्रस्ताव किया गया है।

सरकार के अभियानों को मदद

मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र और रोजगार सृजन में छोटे व मझोले उद्यमों को अहमियत दी गई है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के 108 समूहों की पहचान की गई है। इसी तरह स्किल इंडिया के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए निर्यात बंधु स्कीम को मजबूत बनाया जा रहा है।

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