तीन माह में डेढ़ लाख किमी तक ले जाएंगे राजमार्गों की लंबाई
सरकार दिसंबर के अंत तक देश में राजमार्गों की लंबाई में 50,000 किमी की और वृद्धि कर इसे 1.5 लाख किलोमीटर तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा अगले दो साल में 10,000 किलोमीटर हाईवे को चौड़ाकर दो से चार लेन का किया जाएगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री
नई दिल्ली। सरकार दिसंबर के अंत तक देश में राजमार्गों की लंबाई में 50,000 किमी की और वृद्धि कर इसे 1.5 लाख किलोमीटर तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा अगले दो साल में 10,000 किलोमीटर हाईवे को चौड़ाकर दो से चार लेन का किया जाएगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यह दावा करते हुए कहा कि सरकार का इरादा देश के बुनियादी ढांचे की तस्वीर बदलने का है। वह बुधवार को सियाम की सालाना बैठक को संबोधित कर रहे थे।
गडकरी ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विस्तार को लेकर सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब प्रतिदिन 14 किलोमीटर सड़क निर्माण हो रहा है। यह आंकड़ा पहले महज दो किमी प्रतिदिन का था। उन्होंने बताया कि 4,000 करोड़ रुपये वाली महत्वाकांक्षी 'मेट्रिनो' सार्वजनिक परिवहन परियोजना पर काम एक माह में शुरू होगा। इसमें राष्ट्रीय राजधानी में लोग रोपवे से जुड़े चालकरहित पोड्स पर यात्रा कर सकेंगे। मेट्रिनो की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट दी जा चुकी है। यह धौलाकुआं से हरियाणा के मानेसर में 70 किलोमीटर मार्ग को जोड़ेगा। इसका वैज्ञानिक अध्ययन किया जा रहा है। मेट्रिनो की लागत प्रति किमी 50 करोड़ रुपये बैठेगी, जबकि मेट्रो की एक किलोमीटर निर्माण की लागत 350 करोड़ रुपये बैठती है।
जल्द यूरो-6 अपनाएं कार निर्माता
सरकार ने संकेत दिया है कि वह कड़े उत्सजर्न नियमों का पालन करने के लिए समय को और बढ़ाने के पक्ष में कतई नहीं है। गडकरी ने यहां वाहन उद्योग से कहा कि उन्हें यूरो-6 मानक जल्द से जल्द अपनाने चाहिए। प्रदूषण गंभीर समस्या है। आप इसे ज्यादा देर नहीं टाल सकते हैं।
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब सियाम ने सरकार से यूरो-5 व यूरो-6 मानकों को अपनाने के लिए और समय मांगा है। सियाम का कहना है कि पर्याप्त समय नहीं मिलने पर देश में बिना ज्यादा जांच-परख के ही नई तकनीकी वाले वाहनों के सड़क पर आने का खतरा है।
इस पर गडकरी ने ऑटो कंपनियों को आगाह करते हुए कहा कि उद्योग संगठन और समय की मांग करेगा, लेकिन ग्रीन ट्रिब्यूनल किसी तरह की देरी की बात सुनने तक को तैयार नहीं है। भारतीय सड़कों पर 18 करोड़ वाहन चल रहे हैं। इससे प्रदूषण की समस्या की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।