देश में फिर से बहुरेंगे लैंडलाइन के दिन
वह जमाना तो गुजर गया जब घरों में लैंडलाइन फोन के कनेक्शन को संपन्नता का पैमाना माना जाता था, लेकिन मोबाइल क्रांति के दौर में तिरस्कार ङोल रहे लैंडलाइन फोन के पुराने दिन फिर लौटने वाले हैं। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत देश में ‘ई-क्रांति’ करने का फैसला कर चुकी
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। वह जमाना तो गुजर गया जब घरों में लैंडलाइन फोन के कनेक्शन को संपन्नता का पैमाना माना जाता था, लेकिन मोबाइल क्रांति के दौर में तिरस्कार ङोल रहे लैंडलाइन फोन के पुराने दिन फिर लौटने वाले हैं। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत देश में ‘ई-क्रांति’ करने का फैसला कर चुकी राजग सरकार देश भर में लैंडलाइन फोन को नए सिरे से प्रचारित व प्रोत्साहित करने जा रही है।
संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय इसके लिए सभी राज्यों के साथ मिलकर लैंडलाइन फोन को बढ़ावा देगा। दूरसंचार विभाग के सचिव राकेश गर्ग ने दैनिक जागरण को बताया कि आने वाले दिनों में लैंडलाइन की उपयोगिता एक बार फिर तेजी से बढ़ने वाली है।
खास तौर पर डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत जिस तरह की सेवाएं आम जनता को देना चाहते हैं उसके लिए लैंडलाइन ही ज्यादा माकूल होगा। लिहाजा मंत्रलय ने फैसला किया है कि लैंडलाइन को फिर से लोकप्रिय बनाया जाए। हां, इस बार यह लैंडलाइन ऑप्टिक फाइबर केबल्स (ओएफसी) से जुड़ा हुआ होगा।
किसी भी विकसित देश में अभी देख लीजिए वहां मोबाइल टेलीफोन हमारे यहां से ज्यादा एडवांस हैं फिर भी हर घर व कार्यालय लैंडलाइन से जुड़े हुए हैं। हमारी कोशिश है कि दो से पांच वर्षो के भीतर भारत में लैंडलाइन एक तरह से अनिवार्य हो जाए। इसके लिए सभी राज्यों को साथ लेने की कोशिश हो रही है।
हाल ही में संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सभी राज्यों को पत्र लिखा है कि वह ऐसी व्यवस्था करें कि मकानों में ओएफसी लगाने की व्यवस्था होने के बाद ही उसे नगरपालिका की मंजूरी दी जाए। राज्यों से कहा गया है कि वे निजी कंपनियों के सहयोग से ओएफसी बिछाने का काम तेजी से करें।
यह बातचीत भी हो रही है कि राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गो के निर्माण के साथ ही ओएफसी लगाने की व्यवस्था हो। लैंडलाइन को प्रोत्साहित करने के पीछे एक बड़ी वजह है कि आने वाले दिनों में इससे स्वास्थ्य, शिक्षा, ई-गवर्नेस समेत कई अन्य क्षेत्रों की सेवाओं को आसानी से आम जनता तक पहुंचाया जा सकेगा।
पिछले कई वर्षो से देश में लैंडलाइन कनेक्शन वाले टेलीफोन की संख्या लगातार घट रही है। सरकार के ताजा आंकड़े (जनवरी, 2015) बताते हैं कि देश में टेलीफोन कनेक्शन की संख्या 97 करोड़ को पार कर गई है। लेकिन इनमें लैंडलाइन कनेक्शन की संख्या महज 2.8 करोड़ है। हर महीने लैंडलाइन लेने वालों की संख्या घटती जा रही है।