न्यूनतम मजदूरी बढ़ाएगी सरकार
सरकार न्यूनतम मजदूरी बढ़ाएगी और इसे पूरे देश में अनिवार्य बनाएगी।
नई दिल्ली। सरकार न्यूनतम मजदूरी बढ़ाएगी और इसे पूरे देश में अनिवार्य बनाएगी। इसका मकसद वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना और नई नौकरियां पैदा करना है। श्रम सचिव शंकर अग्रवाल ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
उद्योग संगठन सीआईआई की ओर से आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए अग्रवाल ने कहा, "हम देशभर में न्यूनतम मजदूरी के लिए एक कानून बनाएंगे। मौजूदा कानून के विपरीत यह व्यवस्था सभी के लिए होगी, न कि सिर्फ अनुसूचित रोजगारों के लिए।" अग्रवाल बोले कि न्यूनतम मजदूरी कानून के तहत मेहनताना बढ़ाया जाएगा, ताकि मजदूरों को बढ़ती महंगाई के हिसाब से अच्छी तनख्वाह मिल सके। सरकार चाहती है कि लोगों के पास चीजें और सेवाएं खरीदने के लिए कुछ पैसे हों।
जेब से बाजार में जाएगा पैसा
अग्रवाल का मानना है कि नई नौकरियों का इंतजाम करके आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए वस्तुओं और सेवाओं की खातिर मांग पैदा करनी होगी। यह तभी हो पाएगा जब लोगों की जेब में पैसे होंगे। ऐसा करने से मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ेगी और अन्य आर्थिक गतिविधियों में इजाफा होगा।
15 हजार प्रति माह संभव
मौजूदा व्यवस्था में श्रम संविधान की समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है। केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में कुशल, अर्ध कुशल और अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करती हैं। ट्रेड यूनियनें न्यूनतम मजदूरी एकसमान रूप से 15,000 रुपये प्रति माह करने की मांग करती रही हैं। पूरे देश में यह व्यवस्था लागू की जा सकती है।
पूरे देश में होगी समान व्यवस्था
श्रम मंत्रालय अब न्यूनतम मजदूरी अधिनियम में संशोधन पर विचार कर रहा है, ताकि पूरे देश में मजदूरी का एक न्यूनतम स्तर अनिवार्य बनाया जा सके। यह व्यवस्था तमाम तरह के श्रमिकों के लिए और महंगाई के अनुरूप होगी। अग्रवाल ने यह भी कहा कि सरकार जल्द सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं के दायरे में लाएगी।