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प्याज की स्टॉक सीमा पर असमंजस में सरकार

प्याज की पैदावार में कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने निर्यात पर रोक लगाने के प्रावधान तो कर दिए, लेकिन स्टॉक सीमा बढ़ाने पर असमंजस में फंस गई है। कृषि व वित्त मंत्रालय की परस्पर विरोधी टिप्पणी से उपभोक्ता मंत्रालय फिलहाल भारी पसोपेश में है। इसी के चलते मंत्रालय

By Manoj YadavEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2015 08:34 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2015 08:50 PM (IST)
प्याज की स्टॉक सीमा पर असमंजस में सरकार

नई दिल्ली, [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। प्याज की पैदावार में कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने निर्यात पर रोक लगाने के प्रावधान तो कर दिए, लेकिन स्टॉक सीमा बढ़ाने पर असमंजस में फंस गई है।

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कृषि व वित्त मंत्रालय की परस्पर विरोधी टिप्पणी से उपभोक्ता मंत्रालय फिलहाल भारी पसोपेश में है। इसी के चलते मंत्रालय ने कैबिनेट नोट में अपना स्पष्ट मत रखने की जगह सारा मामला कैबिनेट के विचाराधीन छोड़ दिया है। प्याज स्टॉक की समय सीमा दो जुलाई को समाप्त हो रही है।

प्याज की पैदावार कम होने के अनुमान को देखते हुए सरकार ने निर्यात रोकने के लिए ही न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 250 डॉलर से बढ़ाकर 425 डॉलर प्रति टन कर दिया है। लेकिन प्याज की भंडारण की सीमा तय करने को लेकर अटक गई है। सूत्रों के मुताबिक उपभोक्ता मंत्रालय ने आने वाले दिनों में प्याज की महंगाई को भांपकर कैबिनेट नोट तैयार किया है। इसमें प्याज की स्टॉक सीमा तय की जानी है। साथ ही समाप्त हो रही इसकी अवधि को बढ़ाने पर फैसला लेना है।

सूत्रों के मुताबिक कृषि मंत्रालय ने इस कैबिनेट नोट पर अपनी टिप्पणी में प्याज की पैदावार में 20 फीसद तक की कमी आने का अनुमान व्यक्त किया है। मंत्रालय ने उपभोक्ता मामले मंत्रालय के प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताते हुए स्टॉक सीमा की अवधि को बढ़ाना जरूरी बताया है। लेकिन इसके विपरीत वित्त मंत्रालय ने इसे गैर जरूरी करार दिया है। इससे उपभोक्ता मंत्रालय मुश्किल में फंस गया है।

असल में एमईपी बढ़ाने को लेकर प्याज उत्पादक राज्यों के किसानों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि इससे निर्यात भले घटे न घटे, किसानों का नुकसान हो जाएगा। संशोधित एमईपी आते ही मंडियों में प्याज की आपूर्ति बढ़ गई और कीमतें नीचे आने लगी हैं।

हालांकि प्याज के मुसीबत बनने से पहले सरकार सतर्क हो गई है। इस पूरे मामले पर बुधवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में विचार किए जाने की संभावना है। तथ्य यह है कि रबी सीजन में प्याज के कुल उत्पादन का 60 फीसद पैदावार होती है। बाकी खरीफ सीजन में पैदा होती है।

प्याज निर्यात रोकने के लिए एमईपी बढ़ाने को लेकर महाराष्ट्र के प्याज किसानों में भारी आक्रोश भी है। उनके हिसाब से सरकार का यह कदम किसानों के हित में नहीं उठाया गया है। सरकार के फैसले के साथ ही उत्पादक सब्जी मंडियों में प्याज की कीमतों में तेज गिरावट का रुख बन गया है।

महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी के अध्यक्ष नानासाहब पाटिल ने बताया कि सरकार के इस फैसले से प्याज का निर्यात तो नहीं रुकेगा, लेकिन किसानों की हालत पतली जरूर होगी।


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