सरकार का निर्देशः एक्साइज ड्यूटी जमा कराएं ज्वैलर्स
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के मुताबिक ज्वैलर्स की पहली मार्च, 2016 से एक्साइज ड्यूटी की देनदारी बनती है। वे मार्च से जुलाई यानी चार महीने का उत्पाद शुल्क एक साथ जमा करा सकते हैं
नई दिल्ली, (पीटीआई) : देश भर के सराफा कारोबारी 42 दिन तक चली हड़ताल के बावजूद गले पड़ी एक्साइज ड्यूटी की आफत से पीछा नहीं छुड़ा पाए। केंद्र सरकार ने ज्वैलर्स को मार्च से लेकर जून तक का उत्पाद शुल्क जमा कराने का निर्देश दे दिया है। उन्हें एक जुलाई तक एक्साइज विभाग के पास अपना पंजीकरण भी कराना होगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 29 फरवरी को पेश बजट में सोने व हीरे के जेवरात पर एक फीसद की एक्साइज ड्यूटी लगाने का एलान किया था। इससे नाराज सराफा कारोबारी हड़ताल पर चले गए थे।
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के मुताबिक ज्वैलर्स की पहली मार्च, 2016 से एक्साइज ड्यूटी की देनदारी बनती है। वे मार्च से जुलाई यानी चार महीने का उत्पाद शुल्क एक साथ जमा करा सकते हैं। विभाग ने किसी ज्वैलर्स के लिए प्रतिष्ठान के रूप में सेंट्रल एक्साइज रजिस्ट्रेशन की समय सीमा भी बढ़ाकर पहली जुलाई कर दी है।
सरकार की ओर से यह आश्वासन मिलने के बाद ज्वैलर्स ने हड़ताल 13 अप्रैल को अस्थायी रूप से वापस ले ली कि टैक्स अफसर उन्हें परेशान नहीं करेंगे। यही नहीं, सरकार ने पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अशोक लाहिड़ी की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति भी बनाई है, जो नाराज सराफा कारोबारियों की मांगों पर विचार करेगी। कमेटी उनकी ओर से पेश एक्साइज ड्यूटी के भुगतान से जुड़ीं अनुपालन व प्रक्रिया संबंधी शिकायतों पर गौर करेगी।
सीबीईसी ने सराफा कारोबारियों के सभी संगठनों से समिति के पास अपनी आपत्तियां और सुझाव ईमेल के जरिये भेजने को भी कहा है।
लाहिड़ी के अलावा कानून विशेषज्ञ रोहन शाह, वाणिज्य मंत्रालय मे संयुक्त सचिव मनोज कुमार द्विवेदी के अलावा सीबीईसी के दो अफसरों- आलोक शुक्ला व गौतम रे को भी इस समिति का सदस्य बनाया गया है। इसके अलावा जल्दी ही सराफा कारोबारियों के प्रतिनिधियों को भी जल्दी ही इस कमेटी में नियुक्त किया जाएगा।
दो मार्च से शुरू होकर 13 अप्रैल तक चली सराफा कारोबारियों की हड़ताल की वजह से रत्न एवं आभूषण उद्योग को एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगी है। वे एक्साइज ड्यूटी के अलावा दो लाख से ऊपर की ज्वैलरी की खरीद-फरोख्त पर पैन कार्ड की अनिवार्यता से भी नाराज थे।