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एफडीआई नियमों में ढील, कैबिनेट ने दी मंजूरी

केंद्र सरकार ने एनआरआइ तथा ओवरसीज निवेशकों के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में राहत देने का फैसला लिया है। सरकार का कहना है कि इसका मकसद देश में निवेश को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने इस आशय

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Sat, 23 May 2015 12:18 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2015 03:14 PM (IST)
एफडीआई नियमों में ढील, कैबिनेट ने दी मंजूरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एनआरआइ तथा ओवरसीज निवेशकों के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में राहत देने का फैसला लिया है। सरकार का कहना है कि इसका मकसद देश में निवेश को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने इस आशय का निर्णय किया है।

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एक सरकारी प्रवक्ता से मिली जानकारी के मुताबिक मंत्रिमंडल ने एनआरआइ, पीआइओ (भारतीय मूल के लोग) और ओसीआइ के निवेश मामले में एफडीआइ नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इससे अर्थव्यवस्था और शिक्षा में निवेश के मामले में पीआइओ और ओसीआइ वर्ग के निवेशकों को एनआरआइ के समान माना जाएगा।

प्रवक्ता ने बताया, 'ओसीआइ, एनआरआइ और पीआइओ के लिये एफडीआइ में संशोधन से देश में विदेशी मुद्रा का प्रवाह बढ़ेगा और निवेश में तेजी आएगी।' विदेशी निवेश संवर्द्धन विभाग (डीआइपीपी) के प्रस्ताव के तहत एनआरआइ, ओसीआइ और पीआइओ के भारत में अपने रुपये खाते से किया गया कोई भी निवेश विदेशी निवेश नहीं माना जाएगा।

एक अधिकारी ने कहा कि वापस नहीं जाने योग्य (नान रिपैट्रिएबल) एनआरआइ कोष को घरेलू निवेश माना जाएगा। सरकार वापस नहीं जाने वाले एनआरआइ के निवेश को घरेलू निवेश मानकर उन एनआरआइ के कोष का उपयोग करना चाहती है जिन्होंने विदेशों में बडी कंपनियां स्थापित की हैं।

पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल-फरवरी के दौरान एफडीआइ 39 प्रतिशत बढकर 28.81 अरब डॉलर रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 20.76 अरब डॉलर था।

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