सोने के बदले ज्यादा सोना या नकद रकम का इंतजाम जल्द
घर में पड़ा सोना नियमित आमदनी का जरिया बन सकता है और इसमें कोई जोखिम भी नहीं है। सरकार जल्द 'गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम' लाने वाली है। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को इसके लिए दिशानिर्देश का मसौदा (ड्राफ्ट गाइडलाइंस) जारी कर दिया।
नई दिल्ली। घर में पड़ा सोना नियमित आमदनी का जरिया बन सकता है और इसमें कोई जोखिम भी नहीं है। सरकार जल्द 'गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम' लाने वाली है। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को इसके लिए दिशानिर्देश का मसौदा (ड्राफ्ट गाइडलाइंस) जारी कर दिया।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तकरीबन तीन माह पहले आम बजट में 'गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम' यानी सोने से पैसे कमाने की योजना घोषित की थी। बहरहाल, ड्राफ्ट गाइडलाइंस पर फीडबैक देने की अंतिम तरीख 2 जून है।
स्कीम के फायदे
- इसके तहत कम-से-कम 30 ग्राम सोना डिपॉजिट कराया जा सकता है, जिसकी वापसी संभव है
- गोल्ड सेविंग्स अकाउंट कैपिटल गेन्स टैक्स, वेल्थ टैक्स और इनकम टैक्स से पूरी तरह मुक्त होंगे
यह स्कीम घरों में और संस्थानों में पड़े सोने को बाजार में लाने के लिए तैयार की गई है। इस तरीके से जुटाए गए सोने को जौहरियों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि वे इसका इस्तेमाल नए गहने और अन्य सामान बनाने में कर सकें।
ग्राहकों के सोने को पहले साफ किया जाएगा और टेस्ट सेंटर में तौला जाएगा। इसके बाद शुद्घता की जांच के लिए पिघलाया जाएगा। इसके बाद ग्राहक इसे डिपॉजिट कर सकता है या फिर मामूली फीस चुकाकर वापस ले सकता है।
ऐसे लोग जो पूरी जांच-पड़ताल के बाद गोल्ड डिपॉजिट करने के लिए तैयार होंगे, उन्हें एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जिसमें कीमत और जमा किए गए सोने की शुद्घता का विवरण होगा। इस सर्टिफिकेट के आधार पर बैंक 'गोल्ड सेविंग्स अकाउंट' खोलेंगे।
गोल्ड सेविंग्स अकाउंट खुलने के 30-60 दिन के बाद ब्याज मिलना शुरू हो जाएगा। ब्याज की दर कितनी होगी, इसका फैसला संभवतः बैंकों पर छोड़ दिया गया है।
सोना डिपॉजिट कराने वाले व्यक्ति को जो मूल कीमत और ब्याज चुकाया जाएगा, उसके हिसाब से सोने की वैल्यू बढ़ेगी। मसलन, यदि कोई ग्राहक 100 ग्राम सोना डिपॉजिट कराता है और उसे 1 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज मिलता है तो परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद उसे 101 ग्राम गोल्ड की क्रेडिट मिलेगी।
ग्राहकों के पास विकल्प होगा कि वे सोने के रूप में डिपॉजिट वापस लें या फिर नकदी के तौर पर। यह फैसला सोना जमा कराने के वक्त ही करना होगा।
गोल्ड डिपॉजिट की परिपक्वता अवधि कम-से-कम एक साल होगी। इसके बाद यह अवधि एक-एक साल के लिए बढ़ती जाएगी। ठीक वैसे ही, जैसे बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) के मामले में होता है। ग्राहकों को लॉकिंग पीरियड तोड़ने की आजादी भी होगी।
शुरुआती तौर पर यह स्कीम कुछ ही जगहों पर शुरू की जाएगी। कारण यह हे कि सरकार को सबसे पहले बुनियादी ढांचा तैयार करना होगा, ताकि सोने की आसान और सुरक्षित हैंडलिंग की सुविधा मुहैया कराई जा सके।
सरकार के मुताबिक गोल्ड डिपॉजिट खातों के जरिए देश में उपलब्ध 20,000 टन सोने का इस्तेमाल हो सकेगा। इसकी बदौलत आयात में कटौती होगी। फिलहाल सालान 800-1,000 टन सोने का आयात किया जाता है।