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कर्ज में डूबे पाकिस्तान में पेट्रोल संकट, सड़कों पर उतरे लोग

अभी तक आतंकवाद से जूझ रहा हमारा पड़ोसी देश अब तेल संकट से भी जूझ रहा है। दरअसल पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल खत्म होने की कगार पर है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि कई शहरों के पेट्रोल पंप पर बमुश्किल 24 घंटे का ईंधन बचा है। स्थिति

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Mon, 19 Jan 2015 11:39 AM (IST)Updated: Mon, 19 Jan 2015 02:00 PM (IST)
कर्ज में डूबे पाकिस्तान में पेट्रोल संकट, सड़कों पर उतरे लोग

अभी तक आतंकवाद से जूझ रहा हमारा पड़ोसी देश अब तेल संकट से भी जूझ रहा है। दरअसल पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल खत्म होने की कगार पर है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि कई शहरों के पेट्रोल पंप पर बमुश्किल 24 घंटे का ईंधन बचा है। स्थिति नहीं सुधरी तो कई पेट्रोल पंप सोमवार से बंद भी हो सकते हैं। परेशान लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस संकट की वजह से प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 4 शीर्ष अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है।

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पाकिस्तान स्टेट ऑयल (पीएसओ) कंपनी के मुताबिक बीते दो हफ्ते में किसी भी बंदरगाह पर कच्चे तेल का एक भी जहाज नहीं आया है क्योंकि निर्यातकों का 215 अरब रुपया पाकिस्तान पर बकाया है। आमतौर पर हर 15 दिन में देश में छह से आठ जहाज कच्चा तेल पहुंचता है। हर जहाज में 65 हजार टन तेल होता है।

देशभर में आक्रोश

ईंधन की कमी के कारण देशभर में आक्रोश है। पाकिस्तानी समाचार पत्रों के अनुसार, देश के कई बड़े शहरों में पिछले छह दिनों से पेट्रोल पंप बंद पड़े हुए हैं। मुल्तान में नाराज लोगों ने प्रदर्शन किया। डॉन के अनुसार, ईंधन की कमी के कारण आपातकालीन सेवाएं प्रभावित हुई हैं। सार्वजनिक परिवहन भी काफी प्रभावित हुआ है।

देश के कई अखबारों ने देश के बड़े शहरों में पेट्रोल पंपों पर हुईं झड़पों की खबरें प्रकाशित की हैं। जब वाहनों की कतार में खड़े लोगों को बताया गया कि पंप में ईंधन नहीं है तो वे भड़क उठे। डॉन में प्रकाशित खबरों के अनुसार लाहौर, फैसलाबाद, इस्लामाबाद, सियालकोट और मुल्तान में कुछ खुले पेट्रोल पंपों के बाहर कई वाहन चालकों को रातभर कतारों में इंतजार करना पड़ा।

क्यों आई यह स्थिति?

पाक पंजाब के लाहौर और अन्य शहरों में पेट्रोल-डीजल की किल्लत सबसे ज्यादा है। यह नौबत पाक की माली हालत खराब होने की वजह से आई है। यहां सरकारी कंपनियां या तो घाटे में है या फिर नकदी के संकट से जूझ रही हैं। पाक में कुछ महीने पहले तक एक दिन में 11 हजार टन ईंधन बिकता था। यह बढ़कर 15 हजार टन प्रतिदिन हो गया है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में पेट्रोल-डीजल की मांग में 23 फीसद की ग्रोथ हुई है। हर महीने पाक में औसतन 3.80 लाख टन पेट्रोल-डीजल की दरकार होती है।

इसमें से 1.40 लाख टन तो रिफाइनरीज से आता है। 2.40 लाख टन आयात होता है। पाक स्टेट ऑयल की पाक के तेल बाजार में हिस्सेदारी 65 फीसद है। वह हर साल 1200 अरब रुपये का व्यवसाय करती है। वहीं पाक अरब रिफाइनरी भी 20 फीसद की हिस्सेदारी रखती है। यह रिफाइनरी पिछले कुछ दिनों से बिजली आपूर्ति विफल हो जाने से काम नहीं कर रही है।

भरोसेमंद नहीं पाकिस्तान

पाक स्टेट ऑयल अब ओवरड्राफ्ट करने की स्थिति में भी नहीं है। उसे तेल उत्पादकों देशों का 215 अरब रुपया लौटाना है। देश के एनर्जी सेक्टर पर ही 190 अरब और पाक इंटरनेशनल एयलाइंस पर 12.5 अरब रुपये बकाया है। इसी वजह से तेल निर्यात करने वाले देश और पाक के अंदर मौजूद बैंक भी सरकारी तेल कंपनी पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। निर्यातकों और बैंकों का कहना है कि कंपनी पहले पुराना बकाया लौटाए, उसके बाद ही मदद की जाएगी।

कोई ठोस योजना नहीं

पाक की नेशनल असेंबली में शनिवार को गहराते तेल संकट पर चर्चा हुई। सरकार इस संकट से उबरने की कोई ठोस योजना नहीं बता सकी। पाक के ऊर्जा मंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने दावा किया कि इस संकट का हल निकालने में कम से कम 8 दिन का वक्त लगेगा। उन्होंने सिर्फ यही कहा कि सरकार कदम उठा रही है, लेकिन क्या कदम उठाए जा रहे हैं, इस बारे में कुछ नहीं बताया। असेंबली से बाहर आने के बाद उन्होंने यही कहा कि रविवार रात तक पाकिस्तान में 35 हजार टन तेल कराची बंदरगाह पहुंचेगा, लेकिन जानकारों के मुताबिक यह सिर्फ पाक की एक दिन की जरूरत के बराबर होगा।

इसलिए खराब हुई स्थिति

* पाक स्टेट ऑयल की पहली गलती यह हुई कि उसने बकायेदार कंपनियों तक तेल की आपूर्ति नहीं रोकी। एनर्जी सेक्टर की कंपनियों और पाक इंटरनेशनल एयरलाइंस को आपूर्ति जारी रखी गई। तेल कंपनियों के लिए पेट्रोल पंपों पर ईंधन का दो हफ्ते का स्टॉक रखना जरूरी है। उन पर भी पाक सरकार ने कोई सख्ती नहीं की।

* पाक को इस तेल संकट से उबरने के लिए फौरी तौर पर 100 अरब रुपये की दरकार है। लेकिन शुरुआती तौर पर उसने सिर्फ 17 अरब रुपये मुहैया कराए। यह पैसा भी पिछले बकाए का भुगतान करने में चला गया। तेल का आयात इससे शुरू नहीं हो पाया।

[साभार: आई नेक्स्ट ]

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