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बजट के साथ-साथ विदेश व्यापार नीति की भी तैयारी

आर्थिक हालात को वापस पटरी पर लाने में मोदी सरकार शिद्दत से जुट गई है। अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बजट के साथ-साथ सरकार ने विदेश व्यापार नीति की तैयारी भी शुरू कर दी है।

By Edited By: Published: Sun, 15 Jun 2014 08:03 PM (IST)Updated: Sun, 15 Jun 2014 08:04 PM (IST)
बजट के साथ-साथ विदेश व्यापार नीति की भी तैयारी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आर्थिक हालात को वापस पटरी पर लाने में मोदी सरकार शिद्दत से जुट गई है। अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बजट के साथ-साथ सरकार ने विदेश व्यापार नीति की तैयारी भी शुरू कर दी है। कोशिश यह है कि इस नीति के तहत उठाए जाने वाले कदमों का बजट के साथ तालमेल हो, ताकि सरकार के प्रयासों के नतीजे आने में देरी नहीं हो।

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बजट की तैयारी वित्त मंत्रालय कर रहा है तो वाणिज्य मंत्रालय में विदेश व्यापार नीति को लेकर मंथन जारी है। इस नीति के बजट सत्र की समाप्ति के बाद जारी होने की संभावना है। विदेश व्यापार नीति और बजट के बीच तालमेल बिठाने की कवायद इसलिए भी सरकार के लिए आसान हो गई है, क्योंकि वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार की मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त मंत्रालय में भी राज्य मंत्री हैं। ऐसे में निर्यात प्रोत्साहन की स्कीमों और उनके लिए बजट में धन का आवंटन दोनों के बीच समन्वय बिठाने में आसानी रहेगी।

जानकार मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यही दूरंदेशी सरकार के प्रयासों के दिखने का समय का समय कम कर देगी। विदेश व्यापार नीति के तहत आमतौर पर आयात और निर्यात के क्षेत्र में सरकार की तरफ से मिलने वाले प्रोत्साहनों पर जोर होता है। अभी तक वित्त मंत्रालय से मिलने वाले बजट आवंटन के बाद वाणिज्य मंत्रालय अपनी स्कीमें तैयार करता था। लेकिन इस बार दोनों विभागों में एक ही राज्यमंत्री होने के चलते विदेश व्यापार के प्रोत्साहन के लिए स्कीमों पर विचार अभी से किया जाने लगा है, ताकि वित्त मंत्रालय को इनके बारे में पहले ही जानकारी रहे।

निर्यात संगठनों की तरफ से निर्यात प्रोत्साहन स्कीमों के अलावा मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को प्रोत्साहन देने की मांग की जाती रही है। निर्यातक एसोसिएशनों के फेडरेशन फियो के अध्यक्ष एम रफीक अहमद का मानना है कि जब तक देश के मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को मजबूत नहीं किया जाता निर्यात में पर्याप्त वृद्धि नहीं प्राप्त की जा सकती।

इस बार सरकार का जोर विशेष आर्थिक क्षेत्र [एसईजेड] पर भी है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से एसईजेड पर लागू न्यूनतम वैकल्पिक कर [मैट] वापस लेने की मांग लगातार होती रही है। इस मंत्रालय की अब भी यही राय है। सीतारमण के दोनों विभागों में रहने की वजह से इस मामले में भी लाभ मिल सकता है। अगर बजट में एसईजेड पर मैट वापस हो जाता है तो विदेश व्यापार नीति में इन्हें प्रोत्साहन देने के लिए और उपायों की भी घोषणा हो सकती है।

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