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तेज आर्थिक विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश जरूरी

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संकटग्रस्त ग्लोबल अर्थव्यवस्था में भारत को चमकता सितारा करार दिया है। अगले दो दशक में आठ फीसद की ऊंची विकास दर हासिल करने और उसे बनाए रखने के लिए उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव संसाधन पर निवेश बढ़ाने की अपील की है।

By Amit MishraEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2015 09:31 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2015 09:39 PM (IST)
तेज आर्थिक विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश जरूरी

नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संकटग्रस्त ग्लोबल अर्थव्यवस्था में भारत को चमकता सितारा करार दिया है। अगले दो दशक में आठ फीसद की ऊंची विकास दर हासिल करने और उसे बनाए रखने के लिए उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव संसाधन पर निवेश बढ़ाने की अपील की है।

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मुखर्जी ने भरोसा जताया कि भारत चालू वित्त वर्ष में आठ से साढ़े आठ फीसद की वृद्धि दर हासिल करने में सफल रहेगा। खास तौर से तब जब महंगाई की दर में कमी आ रही है। राजकोषीय और चालू खाते का घाटा नीचे आ रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत स्थिति में है। साथ ही स्थिर कर नीतियां लागू हैं।

मुखर्जी यहां भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात एवं संवर्धन परिषद (ईईपीसी) के हीरक जयंती समारोह में पहुंचे थे। राष्ट्रपति बोले कि अगले दो दशक में ऊंची वृद्धि दर हासिल करने के लिए भारत को बुनियादी ढांचे, मानव और सामाजिक पूंजी में उल्लेखनीय निवेश करना होगा।

वित्त वर्ष 2014-15 में भारत की आर्थिक विकास दर 7.3 फीसद रही थी। इंजीनियरिंग सेक्टर के ग्रोथ की व्यापक संभावनाएं हैं। देश की कुल वस्तुओं के निर्यात में इंजीनियरिंग क्षेत्र का हिस्सा 22 फीसद है। कुल उत्पादन में इस क्षेत्र का हिस्सा 35 फीसद है। यह देश के लिए सर्वाधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाले क्षेत्रों में से एक है।

मुखर्जी ने कहा कि इंजीनियरिंग निर्यात में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैन्यूफैक्चरिंग आधार का भारत जैसे देशों की ओर मुड़ना है। भारत अपेक्षाकृत न केवल कम लागत का श्रमबल उपलब्ध कराता है, बल्कि यहां उच्च गुणवत्ता की इंजीनियरिंग भी उपलब्ध है।

इंजीनियरिंग निर्यात की संभावनाएं शानदार हैं। ग्लोबल मंदी के बाद घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखाई दिए हैं। 2012-13 में आर्थिक विकास दर 5.1 फीसद थी, जो 2013-14 में बढ़कर 6.9 फीसद और फिर बीते वित्त वर्ष में 7.3 फीसद पर पहुंच गई।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश से इंजीनियरिंग निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए व्यापक व समावेशी रणनीतियां बनाते समय अब उत्पाद की गुणवत्ता, बाजार और उत्पाद विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। विश्व बाजार में इस क्षेत्र का निर्यात महज एक फीसद से कुछ अधिक है। इससे संतुष्ट नहीं हो सकते हैं।

बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता देगी सरकार

इसी कार्यक्रम में मौजूद वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने निर्यातकों को भरोसा दिया कि सरकार विदेशी बाजारों को निर्यात बढ़ाने तथा आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे के विकास को शीर्ष प्राथमिकता देगी। उन्होंने कहा कि सुस्ती के दौर के बाद भारत ऊंची आर्थिक विकास दर और मैन्यूफैक्चरिंग वृद्धि में सुधार के साथ काफी हद तक आगे बढ़ने की राह पर है।

ग्लोबल मांग में कमी के अलावा ढांचागत अड़चनों की वजह से देश का निर्यात प्रभावित हो रहा है। सीतारमण ने बताया कि सरकार को मेक इन इंडिया के तहत 3.05 अरब डॉलर के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। यह संकेत देता है कि सरकार अर्थव्यवस्था पर कितना ध्यान दे रही है।


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