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अर्थव्यवस्था के विकास के लिए नहीं हुआ पीएसयू की नकदी का इस्तेमाल

सरकार की निरंतर कोशिशों के बावजूद भारी नकदी के भंडार पर बैठी सरकारी कंपनियों ने इस फंड का इस्तेमाल अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए नहीं किया।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 04 May 2016 07:56 PM (IST)Updated: Wed, 04 May 2016 11:08 PM (IST)
अर्थव्यवस्था के विकास के लिए नहीं हुआ पीएसयू की नकदी का इस्तेमाल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार की निरंतर कोशिशों के बावजूद भारी नकदी के भंडार पर बैठी सरकारी कंपनियों ने इस फंड का इस्तेमाल अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए नहीं किया। भारी भरकम राशि होने के बाद भी न तो इन कंपनियों ने शेयरधारकों को बोनस दिया और न ही विस्तार योजनाओं पर निवेश किया। 10 पीएसयू तो ऐसी हैं जिन्होंने इस संबंध में निवेश की अपनी नीति ही नहीं बनायी।

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संसद में पेश की गई कैग की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 46 लिस्टेड केंद्रीय उपक्रमों के पास 31 मार्च 2015 को 162970 करोड़ रुपये का नकद और बैंक बैलेंस था। इनमें से 36 लिस्टेड केंद्रीय उपक्रमों के सरप्लस कैश के प्रबंधन का आडिट के दौरान अध्ययन किया गया। इस दौरान देश की आर्थिक रफ्तार धीमी होने के चलते सरकार की तरफ से नकदी पर बैठे केंद्रीय उपक्रमों से उसके अर्थव्यवस्था में निवेश करने को लगातार कहा गया। लेकिन कैग की रिपोर्ट बताती है कि अधिकांश उपक्रमों ने केंद्र सरकार की सलाह को नजरअंदाज कर नकदी पर बैठे रहना उचित समझा।

नहीं दिया लाभांश

रिपोर्ट के मुताबिक जिन 36 कंपनियों के सरप्लस कैश मैनेजमेंट का आडिट किया गया इनके पास 261721 करोड़ रुपये की नकदी, बैंक जमा और अन्य वित्तीय स्त्रोतों में निवेशित राशि थी। इनमें से चार केंद्रीय उपक्रम ऐसे थे जिन्होंने सार्वजनिक उपक्रम विभाग (डीपीई) के दिशानिर्देशों के मुताबिक 1718 करोड़ रुपये के न्यूनतम डिविडेंड का भी वितरण नहीं किया। जबकि इन कंपनियों का कर पश्चात लाभ भी पर्याप्त था। तीन कंपनियों के पास कर पश्चात लाभ तो अर्जित नहीं किया लेकिन उनके पास पर्याप्त मात्रा में रिजर्व होने के बावजूद 5237 करोड़ रुपये का न्यूनतम डिविडेंड अदा नहीं किया।

बोनस शेयर भी नहीं हुए जारी

कैग ने अपने आडिट में पाया कि 27 केंद्रीय उपक्रमों के पास उनकी कुल चुकता पूंजी से तीन गुना अधिक फ्री रिजर्व उपलब्ध था। लेकिन इनमें से 24 उपक्रमों ने डीपीई के दिशानिर्देशों के बावजूद बोनस शेयर जारी नहीं किए। इन कंपनियों ने ऐसा नहीं करने की अपनी वजह भी कैग को बताई हैं। जबकि तीन कंपनियों बामर लॉरी एंड कंपनी, कंटेनर कॉरपोरेशन आफ इंडिया और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के पास बोनस शेयर जारी करने के बाद भी पेडअप कैपिटल से तीन गुना रिजर्व बचा रहा। कैग का मानना है कि इन तीनों कंपनियों ने डीपीई के दिशानिर्देशों के मुताबिक बोनस शेयर जारी नहीं किये।

निवेश योजना नदारद

सबसे गंभीर मामला उन 10 केंद्रीय उपक्रमों का है जिनके पास पर्याप्त मात्रा में सरप्लस कैश उपलब्ध था। इसके बावजूद इन कंपनियों ने डीपीई के निर्देश के बावजूद इस फंड के लिए निवेश की नीति का निर्धारण नहीं किया। इनमें एमएमटीसी, एनएमडीसी, भारत इलेक्ट्रानिक्स, बीईएमएल, एसजेवीएन, एमओआइएल लिमिटेड, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, मद्रास फर्टिलाइजर्स, फर्टिलाइजर एंड कैमिकल ट्रावणकोर और राष्ट्रीय कैमिकल व उर्वरक लिमिटेड शामिल हैं।

किन कंपनियों ने नहीं दिए बोनस शेयर

(रकम करोड़ रुपये में)

कंपनी पेडअप कैपिटल फ्री रिजर्व

बीईएमएल 42 2022

भारत इलेक्ट्रानिक्स 80 7756

बीएचईएल 490 33559

चेन्नई पेट्रो कार्प 149 1506

कोल इंडिया 6316 32265

ईआइएल 168 2369

गेल इंडिया 1268 27620

एचपीसीएल 339 15330

आइओसी 2428 62646

एमएमटीसी 100 1259

एमओआइएल 168 3214

नाल्को 1289 11508

एनबीसीसी 120 1204

नेवेली लिग्नाइट 1678 12687

एनएमडीसी 396 31935

एनटीपीसी 8245 69149

ओएनजीसी 4278 140306

ओआइएल 601 20898

पीएफसी 1320 17165

पावरग्रिड 5232 26548

आरसीएफ 552 2159

आरईसी 987 13497

सेल 4131 38336

शिपिंग कारपोरेशन 466 4577

(आंकड़े 31 जुलाई 2015 तक के)

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