विदेश व्यापार नीति को लेकर भ्रम बरकरार
तेजी से गिर रहे भारतीय निर्यात के बीच सरकार की तरफ से विदेश व्यापार नीति की घोषणा को लेकर अस्पष्टता अब भी बनी हुई है। नीति के तहत दिए जाने वाले प्रोत्साहनों को लेकर वाणिज्य और वित्त मंत्रलयों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। इसलिए संकेत मिल रहे
नई दिल्ली। तेजी से गिर रहे भारतीय निर्यात के बीच सरकार की तरफ से विदेश व्यापार नीति की घोषणा को लेकर अस्पष्टता अब भी बनी हुई है। नीति के तहत दिए जाने वाले प्रोत्साहनों को लेकर वाणिज्य और वित्त मंत्रलयों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। इसलिए संकेत मिल रहे हैं कि नए वित्त वर्ष 2015-16 में भी विदेश व्यापार नीति की घोषणा में देरी हो सकती है।
वाणिज्य मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक बजट पेश होने के बाद ही विदेश व्यापार नीति में संभावित बदलावों पर काम शुरू कर दिया गया था। प्रोत्साहनों को लेकर वित्त मंत्रलय के साथ लगातार चर्चा हो रही है। लेकिन वित्त मंत्रालय कर प्रावधानों में ज्यादा छूट देने के पक्ष में नहीं है। राजस्व में कमी की आशंका नए वित्त वर्ष में भी बने रहने की वजह से राजस्व विभाग निर्यातकों, खासतौर पर एसईजेड के निर्यातकों को नई रियायतें देने के हक में नहीं हैं। इसके विपरीत रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की तरफ से भी अभी तक निर्यातकों को सस्ते निर्यात कर्ज की शुरूआत नहीं हुई है।
निर्यातक लगातार मांग कर रहे हैं कि प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले निर्यात लागत बढ़ने की वजह से वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा से बाहर होते जा रहे हैं। लेकिन पिछली दो मौद्रिक समीक्षाओं में रिजर्व बैंक ने निर्यातकों को रियायत देने संबंधी कोई कदम नहीं उठाया है।
निर्यातकों को उम्मीद थी कि बजट पेश होने के बाद सरकार नया वित्त वर्ष शुरू होने से पूर्व या अप्रैल के पहले-दूसरे सप्ताह में विदेश व्यापार नीति की घोषणा कर देगी। बीते साल केंद्र में सरकार के गठन के बाद व्यापार नीति की घोषणा नहीं हुई है। निर्यातकों पर अभी तक 2013-14 की विदेश व्यापार नीति के प्रावधान ही लागू हैं। जबकि निर्यातकों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उसके बाद से स्थितियों में काफी बदलाव आ चुका है।
हालांकि वाणिज्य व उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते सप्ताह भी कहा कि सरकार इस नीति की घोषणा जल्द करेगी। लेकिन वाणिज्य मंत्रलय के अधिकारी अनौपचारिक बातचीत में मान रहे हैं कि अभी इस नीति के प्रावधानों को लेकर वित्त मंत्रलय के साथ एक राय नहीं बन पाई है। लिहाजा यह कहना अभी मुश्किल है कि नीति की घोषणा कब तक हो पाएगी।