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राज्यों के नुकसान भरपाई पूरी करने के लिए वित्त मंत्री ने लगाया सेस पर दांव

जीएसटी लागू होने पर रायों को होने वाली राजस्व हानि की भरपाई के लिए तंबाकू और लक्जरी उत्पादों पर सेस लगाने के प्रस्ताव की वकालत की है।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 27 Oct 2016 10:55 AM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 02:38 PM (IST)
राज्यों के नुकसान भरपाई पूरी करने के लिए वित्त मंत्री ने लगाया सेस पर दांव

नई दिल्ली: जीएसटी लागू होने पर रायों को होने वाली राजस्व हानि की भरपाई के लिए तंबाकू और लक्जरी उत्पादों पर सेस लगाने के प्रस्ताव की वकालत की है। वित्त मंत्री का कहना है कि राज्यों को राजस्व क्षतिपूर्ति के लिए अगर जीएसटी की दर में और वृद्धि की जाती है तो यह बहुत अधिक और असहनीय होगी। वित्त मंत्री ने यह वक्तव्य ऐसे समय दिया है जब तीन और चार नवंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक होने जा रही है।

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काउंसिल की इस बैठक में जीएसटी की दरें तय की जाएंगी। केंद्र ने जीएसटी की चार दरें छह प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 26 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया है। इसके अलावा लक्जरी वस्तुओं और तंबाकू उत्पादों पर सेस लगाने तथा सोने पर चार प्रतिशत जीएसटी का प्रस्ताव काउंसिल के समक्ष रखा है। काउंसिल की 18 और 19 अक्टूबर को हुई बैठक में इस संबंध में चर्चा भी हुई थी लेकिन इस पर कोई सहमति नहीं बन पायी।

जेटली ने फेसबुक पर कहा कि समाज के अलग-अलग वर्गों के इस्तेमाल की वस्तुओं पर कर की दरें भी अलग रखनी होंगी। अन्यथा जीएसटी प्रतिकूल होगा। एयरकंडीशनर्स और हवाई चप्पल पर टैक्स की दर समान नहीं रखी जा सकती। साथ ही इतना टैक्स वसूलना होगा जिससे कि राजस्व की हानि न हो। सरकार को न तो राजस्व की हानि हो और न ही उसे अचानक से लाभ हो।

जेटली ने सेस लगाने के पीछे विचार को बताते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार को रायों को राजस्व हानि की भरपाई के लिए धन उधार लेना पड़ा तो इससे उसकी देयता बढ़ जाएगी जिससे केंद्र, राय और निजी क्षेत्र के लिए कर्ज महंगा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए प्रत्यक्ष कर की दर बढ़ाना भी तार्किक नहीं है। सिद्धांतत: यह भी तर्क है कि सेस की जगह जीएसटी की अतिरिक्त दर के माध्यम से भी रायों को राजस्व की क्षति की पूर्ति की जा सकती है।
जेटली ने कहा कि अगर पहले वर्ष 50,000 करोड़ रुपये राजस्व क्षति की पूर्ति करने की जरूरत पड़ती है तो टैक्स के माध्यम से इसके लिए धनराशि जुटाना बहुत मुश्किल होगा। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को 50,000 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति के लिए 1.72 लाख करोड़ रुपये टैक्स जुटाना होगा। जेटली ने कहा कि जीएसटी के माध्यम से जो भी राशि आएगी, उसका 50 प्रतिशत रायों को जीएसटी के हिस्से के तौर पर चला जाएगा जबकि शेष 50 प्रतिशत राशि का 42 प्रतिशत रायों को डिवोल्यूशन के तौर पर चला जाएगा। इस तरह 100 रुपये जीएसटी में केंद्र के पास मात्र 29 रुपये बचेंगे। ऐसे में इस टैक्स का प्रभाव काफी असहनीय होगा। जेटली ने कहा कि इसके विकल्प के तौर पर सेस लगाए जा सकते हैं जिन्हें पांच साल बाद जीएसटी में ही समाहित कर दिया जाएगा। ये सेस तंबाकू और लक्जरी उत्पादों पर लगाए जा सकते हैं। साथ ही स्वछ ऊर्जा सेस भी लगाया जा सकता है।


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