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निवेश नियमों में अपवाद कैसे

आपने यह पुरानी कहावत तो सुनी होगी कि कई बार अपवाद ही नियम बन जाते हैं। हालांकि मुझे यह कभी समझ में नहीं आया कि कैसे किसी भी अपवाद को नियम के तौर पर स्वीकृति दी जा सकती है। होता तो उल्टा है। अगर आप किसी नियम का पालन करते

By Edited By: Published: Mon, 26 Jan 2015 05:34 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jan 2015 05:38 AM (IST)
निवेश नियमों में अपवाद कैसे

आपने यह पुरानी कहावत तो सुनी होगी कि कई बार अपवाद ही नियम बन जाते हैं। हालांकि मुझे यह कभी समझ में नहीं आया कि कैसे किसी भी अपवाद को नियम के तौर पर स्वीकृति दी जा सकती है। होता तो उल्टा है। अगर आप किसी नियम का पालन करते हैं और इसके साथ ही आपने एक अपवाद भी जोड़ रखा है तो इसका साफ मतलब है कि नियम में ही कोई खामी है। लेकिन मुझे लगता है कि इस नियम के कुछ और मायने भी हैं।

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मेरे ख्याल से यह कहावत उन लोगों ने लोकप्रिय बनाई है जो नियम या अपने आदर्श तो गढ़ लेते हैं लेकिन बाद में जा कर उसका पालन नहीं कर पाते। मैंने निवेश के मामले में ऐसा कई बार देखा है। निवश के फैसले कुछ नियमों पर बनाए जाते हैं। लेकिन आगे चलकर उनमें तमाम बदलाव कर दिए जाते हैं। हाल के दिनों में म्यूचुअल फंड निवेशक निवेश के आधारभूत तत्वों से परिचित हो चुके हैं। वे जानते हैं कि निवेश का यह एक अच्छा तरीका है। लेकिन जब उनके निवेश पोर्टफोलियो को आप देखते हैं तो पाते हैं कि वह निवेश के सिद्धांत का नहीं, बल्कि उसके अपवादों का पालन कर रहे हैं।

मसलन, किसी को भी पूरी की पूरी राशि सिर्फ इक्विटी फंड में निवेश नहीं कर देनी चाहिए। इक्विटी फंड में निवेश करने का सबसे सुरिक्षत तरीका एसआइपी होता है क्योंकि इसमें लागत कई किस्तों में विभाजित हो जाती है। ऐसा करने के कई फायदे हैं जिनका पता आगे चलकर चलता है। यह सर्वमान्य सिद्धांत हैं। आसानी से सभी को समझ में भी आते हैं।

इन सिद्धांतों से भलीभांति परिचित रहने वाले निवेशकों के पोर्टफोलियो भी इनके अपवादों से भरे हुए हैं। वैसे इनके पास कई तरह के तर्क होते हैं। जैसे, मेरे पास कहीं से कुछ ज्यादा पैसे आ गए और किसी ने कहा कि एक ही बार में कहीं सारा पैसा लगा दो। कुछ यह स्कीकार करेंगे कि एक ही जगह सारा पैसा नहीं लगाना चाहिए, लेकिन साथ ही कहेंगे कि देख नहीं रहे इंफ्रास्ट्रक्चर अभी कितना अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, इसका भविष्य कितना अच्छा है, आदि-आदि। कुछ आपको यह कहेंगे कि शेयर बाजार में तेजी तो है, लेकिन यह ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगी।

इसलिए मैंने सारा पैसे दस वर्ष के लिए बैंक में जमा करा दिए। ये कुछ ऐसे बहाने हैं जो निवेश में अपवाद को नियम बनाने वाले लोग देते हैं और कई बार देते हैं। अधिकांश पोर्टफोलियो में आपको इस तरह के अपवाद मिल जाएंगे। अधिकांश मामले में निवेशक स्वयं ही अपने विवेक के आधार पर ऐसा फैसला किया हुआ होता है। उन्हें इसका पूरा भरोसा होता है कि दी गई स्थिति में वह सबसे उचित कदम उठा रहे हैं। यह निवेशक समुदाय की एक सामान्य स्थिति है कि हम निवेश के नियमों के अपवादों का ही चयन करते रहते हैं। हम सभी सिद्धांतों को तो ध्यान से सुनते हैं और उन्हें समझते हैं। लेकिन मौका मिलने पर उन्हें ताक पर रखने से नहीं हिचकते।

कुछ दिन पहले मुझे नासा का एक प्रपत्र देखने को मिला वैसे यह सॉफ्टवेयर से जुड़ा हुआ है लेकिन मौजूं है। नासा के कंप्यूटर विज्ञानी गेरार्ड होजमैन की तरफ से लिखे गए प्रपत्र के मुताबिक नियम पालन को सुनिश्चित करना है तो फिर उन्हें कानून के तौर पर लिया जाना चाहिए न कि दिशानिर्देश के रूप में। अधिकांश संगठनों के पास दर्जनों नियम होते हैं और सैकड़ों दिशानिर्देश होते हैं। लेकिन असल में उनके कर्मचारी इन नियमों के अपवादों को ही पालन करने में ज्यादा व्यस्त रहते हैं। इसलिए होजमैन का मानना है कि कुछ ही नियम हों, लेकिन ऐसे हों कि उनका पालन सभी करें।

अपवाद की गुंजाइश ही न रहे। अपवाद को सही ठहराने की कोई व्यवस्था भी नहीं होनी चाहिए। अगर एक भी मामले में अपवाद को सही ठहराया जाता है तो फिर उसके अनुसरण की भी संभावना बढ़ जाती है। हो सकता है कि कुछ मामलों में अपवादों का पालन करना मुनाफे का सौदा भी हो, लेकिन अन्य मामलों में अपवादों से घाटा ही उठाना पड़ता है। यह नियमों व सिद्धांतों को मजाक बना देने की शुरुआत होती है।

इसलिए एक भी अपवाद की स्वीकृति नहीं होनी चाहिए। निवेश के मामले में यह बात सही साबित होती है। वैसे भी ऐसे मामले में निवेशक का स्वयं विवेक ही सबसे अहम होता है, लेकिन नासा के इंजीनियर की बात यहां सही साबित होती है। इसलिए निवेश के मामले में भी नियम व सिद्धांतों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।
फंड का फंडा ,फंड का फंडा
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