हॉलमार्क गोल्ड ज्वैलरी पर भी नहीं कर सकते भरोसा
कुछ लोग इस बात से सकते में आ सकते हैं, लेकिन सच यह है कि हॉलमार्क प्रमाणित गोल्ड ज्वैलरी भी संदेह से परे नहीं है। इसकी शुद्धता का पैमाना अलग-अलग है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने भारत की हॉलमार्क गोल्ड ज्वैलरी पर सवाल उठाते हुए यह बात कही है।
नई दिल्ली। कुछ लोग इस बात से सकते में आ सकते हैं, लेकिन सच यह है कि हॉलमार्क प्रमाणित गोल्ड ज्वैलरी भी संदेह से परे नहीं है। इसकी शुद्धता का पैमाना अलग-अलग है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने भारत की हॉलमार्क गोल्ड ज्वैलरी पर सवाल उठाते हुए यह बात कही है। भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इसको देखते हुए डब्ल्यूजीसी ने गुणवत्ता मानकों को सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाने पर जोर दिया है।
डब्ल्यूजीसी का कहना है कि भारत में हॉलमार्किंग प्रणाली में सुधार न केवल गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की सफलता के लिए आवश्यक है, बल्कि यह देश के स्वर्ण आभूषण निर्यात में भी जान फूंकने में मदद कर सकता है। अभी आठ अरब डॉलर मूल्य के स्वर्ण आभूषणों का निर्यात होता है। यदि गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार हो तो अगले पांच साल में यह आंकड़ा 40 अरब डॉलर को छू सकता है।
फिलहाल देश में सोने की हॉलमार्किंग स्वैच्छिक है। यह पीली धातु की शुद्धता का प्रमाणन है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधीन भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) हॉलमार्किंग का प्रशासनिक प्राधिकरण है। डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट कहती है कि वैसे तो आज की तारीख में 30 फीसद आभूषण हॉलमार्क वाले हैं, लेकिन कुछ हॉलमार्किंग केंद्रों की गुणवत्ता व विश्वसनीयता को लेकर चिंता है। ऐसे में सटीक तरीके से हॉलमार्क वाले आभूषणों का आंकड़ा 30 फीसद से भी कम बैठेगा। कमजोर गुणवत्ता नियंत्रण और बीआइएस के पास संसाधनों की कमी से हॉलमार्क उत्पादों की शुद्धता में भी अंतर है। साल 2000 में बीआइएस हॉलमार्किंग शुरू होने के बाद कम कैरेट वाला सोना 40 फीसद से घटकर 10-15 फीसद के स्तर पर आ गया है, लेकिन चुनौतियां अभी कायम हैं।
डब्ल्यूजीसी इंडिया के एमडी सोमसुंदरम पीआर ने कहा कि हॉलमार्किंग अनिवार्य नहीं है। उपभोक्ताओं की जागरूकता भी सीमित है। ऐसे में ज्वैलर्स इसे लेकर अधिक उत्साहित नहीं रहते हैं। खास बात यह है कि एक ही दुकान में हॉलमार्क और बिना हॉलमार्क का सोना दोनों ही बिकते हैं।
और टूटे सोना-चांदी
नई दिल्ली : विदेश में कमजोरी के बीच मौजूदा स्तरों पर निवेशकों और आभूषण निर्माताओं ने कीमती धातुओं में लिवाली से हाथ खींचकर रखे। इससे गुरुवार को लगातार तीसरे सत्र में सोने में गिरावट दर्ज की गई। स्थानीय सराफा बाजार में यह पीली धातु 200 रुपये और लुढ़ककर 25 हजार 90 रुपये प्रति दस ग्राम पर बंद हुई। बीते दो सत्रों में भी यह 200 रुपये फिसली थी। इसी प्रकार औद्योगिक यूनिटों और सिक्का निर्माताओं की मांग के अभाव में चांदी 150 रुपये की चपत खाकर 34 हजार 50 रुपये प्रति किलो पर बंद हुई।
गोल्ड बांड स्कीम में होंगी शर्ते
नई दिल्ली : केवल भारतीय नागरिकों को ही प्रस्तावित सॉवरेन गोल्ड बांड (एसजीबी) स्कीम को सब्सक्राइब करने की अनुमति होगी। इसमें प्रति व्यक्ति 500 ग्राम की वार्षिक सीमा रहने की संभावना है। बजट 2015-16 में एसजीबी स्कीम को लांच करने का प्रस्ताव किया गया था। इस स्कीम का उद्देश्य सोने के विकल्प के तौर पर बांड को वित्तीय एसेट के तौर पर विकसित करना है। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी।