गुल खिलाएगा ई-क्रांति का शांत आगाज
कहते हैं कि महान क्रांति की नींव शांतिपूर्ण ढंग से रखी जाती है। राजग सरकार के एक वर्ष के कामकाज की जो समीक्षा हो रही है, उसमें स्मार्ट सिटी, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रमों पर सभी का ध्यान है, लेकिन ई-क्रांति को लेकर सरकार के कदमों
नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंजन]। कहते हैं कि महान क्रांति की नींव शांतिपूर्ण ढंग से रखी जाती है। राजग सरकार के एक वर्ष के कामकाज की जो समीक्षा हो रही है, उसमें स्मार्ट सिटी, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रमों पर सभी का ध्यान है, लेकिन ई-क्रांति को लेकर सरकार के कदमों की तरफ किसी का खास ध्यान नहीं है। जबकि फैसलों के हिसाब से देखें तो नरेंद्र मोदी सरकार देश में डिजिटल संस्कृति की एक मजबूत नींव डाल चुकी है। सरकारी उपक्रमों में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने, 45 अरब की लागत से 73 सुपर कंप्यूटर लगाने, स्थानीय भाषा में मोबाइल फोन पर सरकारी सेवा देने की व्यवस्था जैसे कदम उठाए गए हैं। इन व्यवस्थाओं से समाज में अमीर और गरीब को समान सरकारी सेवा देने की जमीन तैयार होगी। पांच लाख रुपये का वर्तु फोन इस्तेमाल करने वाले और 5000 रुपये का स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने वाले को एक समान सरकारी सेवाएं बगैर किसी भेदभाव के पहुंचाई जा सकेंगी।
हर सेवा मोबाइल पर
मार्च, 2015 के अंतिम सप्ताह में कैबिनेट की एक अहम बैठक में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्लान (एनईजीपी) 2.0 को मंजूरी दी गई। इस फैसले के विभिन्न बिंदुओं को देखने से साफ हो जाएगा कि आम जनता का जीवन इससे भविष्य में कितना जुड़ा हुआ होगा। मसलन, सरकार की तमाम तरह की सेवाओं चाहे वह बिजली कनेक्शन से हो या पानी कनेक्शन से हो या किसी भी तरह का प्रमाण पत्र हासिल करने का हो या सरकार के किसी विभाग को लेकर शिकायत करने की हो, सब कुछ आप इंटरनेट के जरिये कर सकेंगे और वह भी बेहद आसानी से। हर क्षेत्र में सरकारी सेवाओं की जानकारी, उनके लिए आवेदन करना, आवेदन की स्थिति पर नजर रखने का काम आप अपने मोबाइल फोन के जरिये कर सकेंगे। यही नहीं इन सेवाओं की जानकारी आपको स्थानीय भाषा में दी जाएगी। यह कार्यक्रम सिर्फ नाम का नहीं होगा, बल्कि सरकारी विभाग इस तरह से तैयार होंगे कि सरकारी सेवाओं के मोबाइल आवेदन पर आपको बहुत ही तेजी से प्रक्रिया प्राप्त होगी। इस फैसले का सीधा मतलब है कि सरकार को बेहद त्वरित व पारदर्शी तरीके से तमाम तरह की सेवाएं देने में तकनीकी विकसित करनी होगी। इसके लिए केंद्र के साथ ही राज्य सरकारों को भी अपनी कमर कसनी होगी। क्योंकि इस फैसले को जमीन पर उतारने के लिए देश भर में दर्जनों परियोजनाएं लागू की जाएंगी। इनमें से कई कार्यक्रम व योजनाएं मिशन मोड में लागू होंगी। इन परियोजनाओं को स्वीकृति देने और इनकी निगरानी की व्यवस्था को भी मंजूरी दे दी गई है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति जहां पूरी परियोजना को मंजूरी देगी वहीं पीएम की अध्यक्षता वाली डिजिटल इंडिया निरीक्षण टीम इसकी निगरानी करेगी। मोटे तौर पर यह फैसला हर तरह की सरकारी सेवा को मोबाइल समेत हर तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर उपलब्ध कराने का जरिया बनेगा। इससे शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, प्लानिंग, न्याय, सुरक्षा, साईबर सुरक्षा समेत अन्य कई क्षेत्रों की सेवाएं उपलब्ध होंगी।
छह दर्जन सुपर कंप्यूटर से बनेगा भारत
दो दशक पहले की बात है जब अमेरिका ने एक सुपर कंप्यूटर के लिए भारत को नाकों चने चबवा दिए थे। दिन बदल चुके हैं। राजग ने सरकार ने हाल ही में 4500 करोड़ रुपये की लागत से देश में 73 सुपर कंप्यूटर बनाने का फैसला किया है। इसके लिए सुपर कंप्यूटिंग मिशन को मंजूरी दी गई है। ये सुपर कंप्यूटर अगले सात वर्षों में बनाए जाएंगे। सुपर कंप्यूटर निर्माण में भारत की साख और मजबूत होगी। नए 73 सुपर कंप्यूटर का निर्माण भी न सिर्फ सरकार की ई-गवर्नेंस नीति को बेहतर बनाएंगे बल्कि यह डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को भी आम जनता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएंगे। ये सुपर कंप्यूटर विभिन्न मंत्रालयों, वैज्ञानिकों और शोध करने वाले संस्थानों के काम आएंगे। इसका आम जनता के जीवन पर भी प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि सरकार का कहना है कि ये सुपर कंप्यूटर नए वाहन बनाने से लेकर नई दवाओं के निर्माण, ऊर्जा के स्नोत तलाशने और जलवायु परिवर्तन तक के मामले में देश की क्षमता को बढ़ाएंगे। ये डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।
ई क्रांति की दिशा में नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क को नए सिरे से लागू करने की चुनौती भी सरकार के समक्ष है। पिछले सात-आठ वर्षों से इस नेटवर्क पर काम हो रहा है, लेकिन अभी तक खास प्रगति नहीं हुई है। संप्रग ने देश के हर पंचायत को डिजिटल नेटवर्क से जोड़ने की योजना बनाई थी। काम कुछ भी नहीं हुआ। अब राजग ने हर गांव को और उसके बाद हर घर को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री ने 70,000 करोड़ रुपये की इस योजना को मंजूरी दे दी है। संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि इस पर राज्यों से बातचीत करने के बाद अगले दो से तीन महीने में काम शुरू कर दिया जाएगा। उक्त तीनों योजनाओं पर मोदी सरकार ने समय रहते काम शुरू कर दिया और अपने शासन के बचे हुए चार वर्षों में इसे एक मुकाम तक पहुंचा दिया तो निश्चित तौर पर मोदी प्रशासन देश में ई-क्रांति के लिए जाना जाएगा। वैसे यह काम इतना आसान भी नहीं है। पिछले पांच वर्षों का रिकार्ड बताता है कि डिजिटल इंडिया को लेकर चुनौतियां सरकार की उम्मीदों से भी ज्यादा हैं। ऐसे में मोदी सरकार को काफी सूझ-बूझ और बेहतर रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा।
कैसे आगे बढ़ेगी ई-क्रांति
* देश भर में लगेंगे 73 सुपर कंप्यूटर
* मोबाइल पर उपलब्ध होगी सरकारी सेवा
* स्थानीय भाषा में इंटरनेट
* सरकारी सेवाओं की शिकायत मोबाइल पर
* हर गांव व बाद में हर घर जुड़ेगा ब्रॉडबैंड से
* आधुनिक आइटी तकनीक तक होगी हर भारतीय की पहुंच
* 50 करोड़ भारतीयों के मोबाइल हैंडसेट में होगा इंटरनेट