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अल नीनो का जोखिम, ब़़ढ सकती है महंगाई

देश में इस साल अल नीनो का जोखिम ब़़ढ गया है। इसके कारण सामान्य से कम बारिश हो सकती है, नतीजतन ग्रामीण इलाकों में मांग प्रभावित हो सकती और खाने--पीने की चीजों की महंगाई ब़़ढ सकती है। जापान की ब्रोकरेज फर्म नोमूरा की एक रिपोर्ट में ऐसी आशंका जताई गई

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Thu, 16 Apr 2015 06:02 PM (IST)Updated: Thu, 16 Apr 2015 06:11 PM (IST)
अल नीनो का जोखिम, ब़़ढ सकती है महंगाई

नई दिल्ली। देश में इस साल अल नीनो का जोखिम ब़़ढ गया है। इसके कारण सामान्य से कम बारिश हो सकती है, नतीजतन ग्रामीण इलाकों में मांग प्रभावित हो सकती और खाने--पीने की चीजों की महंगाई ब़़ढ सकती है। जापान की ब्रोकरेज फर्म नोमूरा की एक रिपोर्ट में ऐसी आशंका जताई गई है।

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रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस साल अल नीनो के हालात बनने की आशंका है। ऐसे होने पर खाद्य महंगाई अस्थाई तौर पर ब़़ढ सकती है। अल नीनो के कारण हमेशा तो नहीं, लेकिन अक्सर सामान्य से कम बारिश होती है और इसीलिए आशंका जताई जा रही है कि मानसून (जून से सितंबर) के दौरान सामान्य से कम बारिश हो सकती है।

अल नीनो का संकेत इसलिए ऑस्ट्रेलियन राष्ट्रमंडल मौसम विज्ञान ब्यूरो के दक्षिणी दोलन सूचकांक (एसओआई) मार्च में गिरकर शून्य से 11.2 नीच आ गया, जो फरवरी में 0.6 था। इस सूचकांक के शून्य से 8 प्रतिशत कम रहना अल नीनो का संकेत है। नोमुरा का कहना है कि ब्यूरो ने इस साल अल नीनो की स्थिति बनने की संभावना ब़़ढाकर कम--से--कम 70 प्रतिशत कर दी है, जो इससे पहले 50 प्रतिशत थी।

अर्थव्यवस्था पर होगा असर

भारत की कृषि अर्थव्यवस्था पहले से खराब है। यहां खरीफ और रबी सीजन की फसलों पर बेमौसम बारिश का असर हुआ है। नोमुरा की मुख्य अर्थशास्त्री ने एक रिसर्च पेपर में कहा, 'लगातार तीसरे साल खराब मौसम से ग्रामीण आय गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है, जिसके कारण सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने की घोषणा करनी प़़ड सकती है।

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