दिल्ली-नोएडा फ्लाईओवर हुआ टोल-फ्री, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के लोगों को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने डीएनडी फ्लाईओवर को टोल फ्री करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के लोगों को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने दिल्ली-नोएडा-दिल्ली (डीएनडी) फ्लाईओवर को टोल फ्री करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि डीएनडी फ्लाई ओवर अगले आदेश तक टोल फ्री रहेगा और कहा कि वह इस मामले की विस्तृत सुनवाई दिवाली की छुट्टियों के बाद करेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ टोल कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इससे पहले 26 अक्टूबर को डीएनडी टोल को फ्री करने का आदेश जारी किया था। कोर्ट ने अपने फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सही माना है।
कोर्ट ने कहा है कि डीएनडी टोल कंपनी के एकाउंट को सीएजी या किसी अन्य इंडिपेंडेंट ऑडिटर से चैक कराया जाएगा, जिससे यह पता चल सके कि कंपनी की ओर से कमाया गया मुनाफा पर्याप्त था या नहीं। कोर्ट 7 नवंबर को एकाउंट्स ऑडिट कराने का आदेश जारी करेगा और साथ ही ऑडिट रिपोर्ट आने तक टोल पर कोई भी फीस नहीं वसूली जाएगी। इस फ्लाइओवर को नोएडा टॉल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (एनटीबीसीएल) ने बनवाया था।
इस फ्लाइओवर की देखरेख और संचालन का काम नोएडा टॉल ब्रिज कंपनी लिमिटेड की प्रमोटर कंपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड को वर्ष 2031 तक दिया था। इलाहाबाद कोर्ट ने कहा था कि कंपनी यात्रियों से लागत से पांच गुना ज्यादा टैक्स ले चुकी है। इस फ्लाइओवर को बनाने क लागत 407 करोड़ रुपए थी, जबकि कंपनी 2,200 करोड़ रुपए टैक्स के रुप में कलेक्ट कर चुकी है।
गौर करमे वाली यह बात है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस फ्लाईओवर को टोल फ्री करते हुए आदेश को तुरंत प्रभाव से लागू करने की बात कही थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि जब फ्लाईओवर की कुल लागत से अधिक की वसूली हो गई है तो क्यों आम जनता पर टैक्स का बोझ डाला जाए। टोल ब्रिज कंपनी ने कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। दिल्ली नोएडा डायरेक्ट फ्लाई ओवर का निर्माण वर्ष 1997 में शुरू हुआ था। इसकी कुल लागत 407 करोड़ थी जबकि वसूली दो हजार करोड़ से ज्यादा की हो चुकी है।