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आठ फीसद की रफ्तार से न बढ़े तो होगी निराशा

देश की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष में बढ़कर आठ फीसद हो जाने की उम्मीद है।

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2015 08:45 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2015 08:46 AM (IST)
आठ फीसद की रफ्तार से न बढ़े तो होगी निराशा

नई दिल्ली। देश की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष में बढ़कर आठ फीसद हो जाने की उम्मीद है। पांच साल से भी कम समय में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3,000 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर जाएगा। अभी इसका आकार 2,000 अरब डॉलर से कुछ अधिक है।

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नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने सोमवार को ये अनुमान जाहिर किए। उन्होंने कहा कि यदि इस वित्त वर्ष में आठ फीसद के आंकड़े पर नहीं पहुंचते हैं, तो निराशा होगी। वित्त वर्ष 2014-15 में आर्थिक विकास की दर 7.3 फीसद रही। चीन और जापान के बाद भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

नीति आयोग के प्रमुख ने कहा कि सरकार की ओर से जारी सुधारों और मेक इन इंडिया अभियान के तहत मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर जोर दिए जाने से भारत ग्लोबल अर्थव्यवस्था में दिक्कतों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय निर्यात में बड़े हिस्से की उम्मीद कर सकता है। ग्लोबल इकोनॉमी काफी बड़ी है।

अंतरराष्ट्रीय निर्यात में भारत की हिस्सेदारी अभी दो फीसद से भी कम है। लिहाजा, सुस्ती के बावजूद विकास की संभावना है। ग्लोबल निर्यात में चीन का हिस्सा 12 फीसद है। यदि सुधारों के रास्ते पर चलते रहे और रुपये की कीमत अनावश्यक रूप से ऊंची नहीं हुई तो इस हिस्से में से हम कुछ अपने पाले में ला सकते हैं।

बेहतर स्थिति में भारत

पानगड़िया चीन के मुकाबले भारत को बेहतर स्थिति में देखते हैं। वह बोले कि चीन में मजदूरी पहले ही काफी बढ़ चुकी है। तमाम मैन्यूफैक्चरर्स अब ऐसे गंतव्यों को देख रहे हैं जहां मजदूरी कम है। इस लिहाज से भारत बेहतर स्थिति में है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलते घटनाक्रमों का भारत पर पड़ने वाले प्रभावों पर पानगड़िया ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी की सुस्ती को कुछ अधिक बढ़ाचढ़ाकर पेश किया जाता है। यूरोप पिछले थोड़े समय से कुछ समस्याओं की चपेट में है, लेकिन वहां सकारात्मक घटनाक्रम अधिक उल्लेखनीय हैं।

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