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निर्यात विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ाए भारत

भारत को अपने व्यापार अधिशेष की स्थिति पाने के लिए अपने निर्यात आधारित विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ाना होगा और साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों [एफआईआई] को सीधे शेयरों में निवेश की अनुमति देने से पहले रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता का समर्थन करना होगा। एक वरिष्ठ भारतीय अर्थशास्त्री ने यह बात कही है।

By Edited By: Published: Fri, 02 Dec 2011 11:57 AM (IST)Updated: Fri, 02 Dec 2011 12:28 AM (IST)
निर्यात विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ाए भारत

सिंगापुर। भारत को अपने व्यापार अधिशेष की स्थिति पाने के लिए अपने निर्यात आधारित विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ाना होगा और साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों [एफआईआई] को सीधे शेयरों में निवेश की अनुमति देने से पहले रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता का समर्थन करना होगा। एक वरिष्ठ भारतीय अर्थशास्त्री ने यह बात कही है।

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मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज आफ इंडिया के चेयरमैन वेंकट चारी ने शुक्रवार यहा कहा कि भारतीय बाजार में पूर्ण पहुंच रुपये की परिवर्तनीयता पर निर्भर करेगी। चारी से अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों ने पूछा था कि एफआईआई को कब भारत के तेजी से बढ़ते शेयर और जिंस बाजारो में सीधी पहुंच मिलेगी। उन्होंने कहा कि जिन भी सम्मेलनों में मैं जाता हूं मुझसे हर कोई यही सवाल करता है। उनको मेरा संक्षिप्त जवाब यही होता है कि रुपए की पूर्ण परिवर्तनीयता के बाद ही हम सकारात्मक व्यापार अंतर हासिल कर सकेंगे।

उन्होने कहा कि तरलता के उच्च स्तर की वजह से एफआईआई भारत के शेयर, वायदा और विकल्प बाजारो में भागीदारी के इच्छुक हैं। चारी ने बताया कि भारतीय निजी और सार्वजनिक क्षेत्र अब विनिर्माण क्षेत्र के दीर्घावधि के विकास पर काम कर रहा है। पूर्व में यह क्षेत्र आईटी जैसे क्षेत्रों की तुलना में काफी धीमी गति से बढ़ा है।

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