Move to Jagran APP

स्पाइस जेट-सन ग्रुप के बीच विवाद सुलझाने के लिए बनी समिति

दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पाइस जेट और सन ग्रुप के बीच विवाद सुलझाने के लिए एक मध्यस्थ समिति का गठन किया है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 05:25 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jul 2016 06:32 AM (IST)
स्पाइस जेट-सन ग्रुप के बीच विवाद सुलझाने के लिए बनी समिति

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पाइसजेट और सन ग्रुप के प्रमुख कलानिधि मारन को स्पाइसजेट के शेयरों के हस्तांतरण को लेकर उनके विवाद को मध्यस्थता प्रक्रिया से एक साल के अंदर सुलझाने के लिए मध्यस्थ समिति नियुक्त करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही अदालत ने स्पाइसजेट को 12 महीने में अदालत में 579 करोड़ रुपये जमा कराने का भी निर्देश भी दिया है।

मारन और उनकी विमानन कंपनी ने मांग की है कि स्पाइसजेट की खरीद-बिक्री के 2015 के समझौते (एसपीए) के अनुसार उन्हें इस विमानन कंपनी के शेयर वारंट जारी किए जाएं। इसी एसपीए के आधार पर कम किराए वाली इस विमानन कंपनी के स्वामित्व का हस्तांतरण इसके सह-संस्थापक अजय सिंह को किया गया था।

loksabha election banner

मात्र 444 रुपये में लीजिए हवाई यात्रा का आनंद, यह कंपनी दे रही है ऑफर

मारन और उनकी कंपनी की याचिका में आरोप लगाया गया है कि स्पाइसजेट को करीब 579 करोड़ रुपये भुगतान करने के बावजूद विमानन कंपनी ने उन्हें शेयर वारंट अथवा परिवर्तनीय बॉन्ड भुनाने योग्य तरजीही शेयर की पहली और दूसरी किस्त जारी नहीं की। उनका यह भी कहना है कि उनकी ओर से दी गई राशि को स्पाइसजेट के सांविधिक बकायों के भुगतान भी नहीं किया गया जिसके कारण उनके खिलाफ मुकदमे खड़े हो गए हैं।

न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह ने स्पाइसजेट को निर्देश दिया वह पांच किस्तों में दिल्ली उच्च न्यायालय के पंजीयक के नाम 579 करोड़ रुपये की सावधि जमा कराए। इसकी पहली किस्त अगस्त में जमा करानी होगी। अदालत ने कहा है कि स्पाइसजेट के शेयर किसी तीसरे पक्ष को जारी करने या हस्तांतरित करने पर रोक का अंतरिम आदेश अभी बरकरार रहेगा। इससे पहले बाजार नियामक सेबी ने मारन और उनके कल एयरवेज के पक्ष में वारंट जारी करने के स्पाइसजेट के निदेशक मंडल द्वारा पारित प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करने में अक्षमता जाहिर की थी। निदेशक मंडल का प्रस्ताव अदालत के निर्देश पर पारित किया गया था।

दिव्यांग को विमान से उतारने पर स्पाइस जेट पर लगाया 10 लाख का जुर्माना

याचिकाकर्ता के दावे के अनुसार स्पाइसजेट की खरीद-बिक्री के 2015 के समझौते के तहत मारन और कल एयरवेज ने कंपनी में अपने पूरे 35,04,28,758 शेयर यानी 58.46 फीसदी हिस्सेदारी अजय सिंह को हस्तांतरित की थी। उसके अनुसार मारन और कल एयर को स्पाइसजेट को 679 करोड़ रुपये का भुगतान करने के एवज में भुनाने योग्य शेयर वारंट जारी किए जाने थे। यह राशि विमानन कंपनी की परिचालन लागत और उस पर बकाये ऋण आदि के भुगतान पर खर्च की जानी थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.