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साइरस मिस्त्री ने ईमेल लिख जताई नाराजगी, कहा मुझे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला

रतन टाटा की ओर से टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद साइरस मिस्त्री ने इस फैसले की तल्ख अंदाज में टिप्पणी की और इसे "कॉर्पोरेट इतिहास में अद्वितीय" फैसला बताया

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 26 Oct 2016 11:45 AM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 08:53 AM (IST)
साइरस मिस्त्री ने ईमेल लिख जताई नाराजगी, कहा मुझे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला

नई दिल्ली: रतन टाटा की ओर से टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद साइरस मिस्त्री ने इस फैसले की तल्ख अंदाज में टिप्पणी की और इसे "कॉर्पोरेट इतिहास में अद्वितीय" फैसला बताया। इस फैसले पर मिस्त्री ने बोर्ड मेंबर और ट्रस्ट के भेजे गए एक ईमेल में लिखा है कि वो काफी हैरान हैं। साथ ही उन्होंने बोर्ड की इस प्रक्रिया को भी अवैध एवं गैरकानूनी बताया और कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला।

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मिस्त्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली कंपनी में काम करने की स्वतंत्रता नहीं मिली, क्योंकि टाटा संस के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन कुछ बदलाव किए गए थे जिससे चेयरमैन की ताकत को कम कर दिया गया।

साइरस मिस्त्री के बारे में:
साइरस मिस्त्री टाटा संस के बोर्ड में साल 2006 में शामिल हुए थे। साल 2012 में वो ग्रुप के चेयरमैन बने। उन्हें टाटा ग्रुप का भविष्य माना जा रहा था, लेकिन चार साल के भीतर ही उन्हें इस पद से हाथ धोना पड़ा। रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच के मतभेदों को इसकी वजह माना जा रहा है। माना जा रहा है कि इन मतभेदों की वजह वो पांच बड़े फैसले हैं जो मिस्त्री ने अपने कार्यकाल के दौरान किए थे। इन्हीं फैसलों के कारण रतन टाटा ने उनकी विदाई पर मुहर लगा दी।


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