निर्यातकों को ब्याज सब्सिडी पर व्यापार नीति चुप
निर्यातकों को मिलने वाली ब्याज छूट को लेकर सरकार की विदेश व्यापार नीति चुप है। यह सब्सिडी किन उत्पादों और किन उद्योग क्षेत्रों को मिलेगी, वाणिज्य मंत्रालय ने फिलहाल नई नीति में यह स्पष्ट नहीं किया है। इस बारे में अंतिम फैसला हो जाने के बाद इन्हें अलग से जारी
नई दिल्ली। निर्यातकों को मिलने वाली ब्याज छूट को लेकर सरकार की विदेश व्यापार नीति चुप है। यह सब्सिडी किन उत्पादों और किन उद्योग क्षेत्रों को मिलेगी, वाणिज्य मंत्रालय ने फिलहाल नई नीति में यह स्पष्ट नहीं किया है। इस बारे में अंतिम फैसला हो जाने के बाद इन्हें अलग से जारी किया जाएगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साल 2015-16 के बजट में निर्यातकों को प्रोत्साहन देने के लिए ब्याज सब्सिडी देने का एलान किया है। यह स्कीम तीन साल के लिए लागू की गई है। इसके लिए चालू साल के बजट में 1,625 करोड़ रुपये का प्रावधान है। निर्यातकों को यह सब्सिडी बैंकों के जरिये मिलेगी। यह सब्सिडी किस रूप में और किन निर्यातकों को मिलनी है यह वाणिज्य मंत्रालय को तय करना था। लेकिन सूत्रों का कहना है कि विदेश व्यापार नीति में हो रही देरी को लेकर मंत्रालय दबाव में था। वह ब्याज सब्सिडी की स्कीम को अंतिम रूप देने के इंतजार में व्यापार नीति को और नहीं टाल सकता था। इस देरी को लेकर चल रही आलोचना को रोकने के लिए ही मंत्रालय को पहली अप्रैल को बिना ब्याज सब्सिडी का दायरा तय किए नीति घोषित करनी पड़ी।
वाणिज्य मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि ब्याज सब्सिडी के दायरे में शामिल होने वाले उद्योगों और उत्पादों पर विचार की प्रक्रिया शुरू होना बाकी है। जल्दी ही इस पर काम शुरू होगा। सूची को अंतिम रूप देने के बाद ही इसे जारी किया जाएगा। हालांकि मंत्रालय का मानना है कि इस सूची को जल्द से जल्द जारी करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि निर्यातक इसका लाभ उठा सकें। निर्यातकों को यह सब्सिडी अलग-अलग बैंकों से मिलेगी। सरकार ने बजट में इस राशि का प्रावधान बैंकों के लिए किया है। बैंकों से निर्यातकों को मिलने वाले निर्यात कर्ज के जरिये इसका लाभ उठाया जा सकेगा।