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कोयला नियामक विधेयक जीओएम के हवाले

कोयला क्षेत्र के लिए नियामक बनाने के प्रस्ताव पर अब मंत्रिसमूह [जीओएम] विचार करेगा। गुरुवार कैबिनेट की बैठक मे यह फैसला किया गया। बैठक के बाद एक वरिष्ठ मंत्री ने कोयला नियामक का मसला जीओएम के हवाले करने की जानकारी दी। उन्होने इसका कारण नही बताया, मगर सूत्रो का कहना है कि कई मंत्रियो द्वारा विधेयक के कुछ प्रावधानो मे संशोधन करने की बात उठाए जाने के कारण सहमति नही बन सकी।

By Edited By: Published: Fri, 11 May 2012 03:26 AM (IST)Updated: Fri, 11 May 2012 03:44 AM (IST)
कोयला नियामक विधेयक जीओएम के हवाले

नई दिल्ली। कोयला क्षेत्र के लिए नियामक बनाने के प्रस्ताव पर अब मंत्रिसमूह [जीओएम] विचार करेगा। गुरुवार कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक के बाद एक वरिष्ठ मंत्री ने कोयला नियामक का मसला जीओएम के हवाले करने की जानकारी दी। उन्होंने इसका कारण नहीं बताया, मगर सूत्रों का कहना है कि कई मंत्रियों द्वारा विधेयक के कुछ प्रावधानों में संशोधन करने की बात उठाए जाने के कारण सहमति नहीं बन सकी।

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बैठक में एक मत यह था कि किसी नियामक को इतने अधिकार क्यों दिए जा रहे हैं। इसके अलावा कोयला ब्लॉकों के आवंटन में पारदर्शिता, सभी हितग्राहियों के लिए अवसरों की समानता और क्षेत्र में निवेश बरकरार रखने के मसलों पर भी विचार हुआ। विधेयक के मसौदे में नियामक को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी व्यक्ति को खनन, नियंत्रण, कोयले की कीमत निर्धारण और खदानों को बंद करने के लिए अधिकृत कर सकेगा।

एमएफआइ पर अब आरबीआइ की निगरानी

इसके अलावा कैबिनेट ने देश में संचालित माइक्रोफाइनेंस कंपनियों [एमएफआइ] को रिजर्व बैंक की निगरानी में लाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके लिए लुघ वित्ता संस्थान [विकास एवं नियमन] विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा ज्यादा ब्याज पर कर्ज वितरण और वसूली की शिकायतें मिलने के कारण पिछले कुछ समय से यह प्रस्ताव लंबित था।

बीमा में एफडीआइ पर प्रस्ताव टला

कैबिनेट ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] की सीमा में बदलाव के प्रस्ताव को टाल दिया है। वित्ता मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने इस क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा 26 फीसदी पर बरकरार रखने की सिफारिश की थी।

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