सीआइआइ कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द के खिलाफ
नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ [सीआइआइ] ने कोयला ब्लॉक आवंटन को सिरे से रद्द किए जाने के खिलाफ सरकार को आगाह किया है। सीआईआई ने कहा है कि इस तरह के कदम से व्यापारिक भावना को ठेस पहुंचेगी।
नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ [सीआइआइ] ने कोयला ब्लॉक आवंटन को सिरे से रद्द किए जाने के खिलाफ सरकार को आगाह किया है। सीआईआई ने कहा है कि इस तरह के कदम से व्यापारिक भावना को ठेस पहुंचेगी।
सीआइआइ के अध्यक्ष आदि गोदरेज ने एक बयान में कहा है कि कानून को अपना काम करना चाहिए और जल्दबाजी में कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। उचित तरीके से आवंटित किए गए कोयला ब्लॉक्स को रद्द नहीं किया जाना चाहिए। आवंटन रद्द किए जाने का कोई कदम व्यापारिक भावना पर विपरीत असर डालेंगे।
ज्ञात हो कि कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर विपक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहा है। विपक्ष की इस मांग के कारण संसद की कार्यवाही पिछले सप्ताह से ठप है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [सीएजी] ने अपनी रपट में 57 कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितता के कारण सरकारी खजाने को 33.67 अरब डॉलर का नुकसान बताया है। विपक्ष इन सभी कोयला ब्लॉक के आवंटन रद्द करने की भी मांग कर रहा है।
गोदरेज ने कहा है कि जिस कोयला ब्लॉक आवंटन में उचित प्रक्रिया का पालन न किए जाने के बारे में पता चलता है, उसकी समीक्षा की जानी चाहिए और कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।
आवंटित 57 कोयला ब्लॉक में से मात्र एक में ही उत्पादन शुरू हो पाया है। गोदरेज ने उत्पादन शुरू होने में हुए विलंब के कई कारण गिनाए है। गोदरेज ने कहा है कि इन कारणों में वन एवं पर्यावरण मंजूरी, भूमि अधिग्रहण, कानून-व्यवस्था और सहायक अधोसंरचना का अभाव, खासतौर से दूरवर्ती इलाकों में, शामिल है।
गोदरेज ने कहा है कि इन सभी कारणों को तय समय में, एकल खिड़की तंत्र के तहत हल किए जाने की आवश्यकता होगी। सीआइआइ ने कहा है कि कोयला खदानों से आने वाला 40 प्रतिशत राजस्व करों व रायल्टी के रूप में सरकार के खाते में जाता है।
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