बेस रेट के नए नियमों से और सस्ते होंगे कर्ज
अब सभी मान कर चल रहे हैं कि ब्याज दरों के घटने का दौर अब शुरू हो चुका है। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने पिछले दिनों रेपो रेट में एकमुश्त आधा फीसद की कटौती कर बैंकों को कर्ज की दरों को घटाने के लिए मजबूर कर दिया है। लेकिन बेस रेट
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अब सभी मान कर चल रहे हैं कि ब्याज दरों के घटने का दौर अब शुरू हो चुका है। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने पिछले दिनों रेपो रेट में एकमुश्त आधा फीसद की कटौती कर बैंकों को कर्ज की दरों को घटाने के लिए मजबूर कर दिया है। लेकिन बेस रेट (आधार दर) तय करने के नियम बदले जा रहे हैं। इससे बैंकों की कर्ज की दरों में 0.50 फीसद की और कमी आने के आसार हैं। बेस रेट के नए नियम अगले साल से लागू होंगे। केंद्र सरकार ने बैंकों को बेस रेट तय करने के नए नियम लागू करने की अनुमति भी दे दी है।
भारतीय बैंक संघ (आइबीए) के सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ समय से रिजर्व बैंक की तरफ से नए बेस रेट के प्रस्ताव पर बैंकों के बीच विचार-विमर्श का सिलसिला चल रहा है। नए नियम का प्रस्ताव रिजर्व बैंक ने हाल ही में सार्वजनिक चर्चा के लिए जारी किया है। इस बारे में अंतिम नियम केंद्रीय बैंक को ही बनाने हैं। लेकिन जल्द ही आइबीए अपनी राय से रिजर्व बैंक को अवगत भी कराएगा। इस बारे में पिछले हफ्ते वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुआई में मंत्रालय की एक टीम के साथ भी विचार-विमर्श हुआ है। वित्त मंत्रालय लगातार आरबीआइ से आग्रह कर रहा है कि वह कर्ज की दरों को और नीचे लाए।
दरअसल, देश की आर्थिक विकास दर की मौजूदा रफ्तार को और तेज करने के लिए वित्त मंत्रालय लगातार सस्ते कर्ज की मांग आरबीआइ से कर रहा है। केंद्रीय बैंक ने वैसे इस वर्ष ब्याज दरों में 1.25 फीसद की कटौती की है, लेकिन इसका असर कर्ज दरों पर बहुत ज्यादा नहीं पड़ा है। जनवरी, 2015 के बाद से आरबीआइ की तरफ से ब्याज दरों में 1.25 फीसद की कटौती के बावजूद आम जनता या उद्योग जगत के लिए कर्ज की दरों में अधिकतम 0.75 प्रतिशत तक ही कमी की गई है। माना जा रहा है कि बेस रेट के नए नियम इस गड़बड़ी को दूर करेंगे और जितना रेपो रेट आरबीआइ कम करेगा, उसका पूरा फायदा आम ग्राहकों को मिलने का रास्ता साफ होगा।
बनेगा औसत बेस रेट का फॉर्मूला
बेस रेट वह दर है, जिससे नीचे की दर पर बैंंक किसी को भी कर्ज नहीं दे सकते। अभी बैंकों को आधार दर तय करने का अपना-अपना फॉर्मूला बनाने की छूट है। लेकिन नए नियम के तहत एक ही फॉर्मूला होगा। इसमें हर बैंक की कुल जमा राशि में टर्म डिपॉजिट स्कीमों का अलग-अलग हिस्सा जोड़ा जाएगा। साथ ही, इसमें बैंकों पर बकाया राशि और इस पर देय ब्याज दर का आकलन भी जोड़ा जाएगा। इन सभी के जोड़ से हर बैंक का औसत बेस रेट निकलेगा।
बैंकों के मुनाफे पर पड़ेगा असर
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने इस बारे में जारी एक रिपोर्ट मेंं कहा है कि बेस रेट के नए नियम देश में कर्ज दरों को 0.50 फीसद की कमी कर देंगे। इससे बैंकों के मुनाफे पर भी 20 हजार करोड़ रुपये तक का असर पड़ेगा।
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