दिल्ली को पर्याप्त गैस देने को तैयार केंद्र
बवाना पावर प्लांट को पर्याप्त गैस देने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर दिल्ली सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने एक बार फिर दिल्ली की बवाना गैस प्लांट को पर्याप्त गैस देने का प्रस्ताव किया है। यह प्रस्ताव पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने स्वयं दिया है। प्रधान ने कहा है कि बवाना पावर प्लांट को सरकार साढ़े सात से आठ डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (गैस मापने का मानक) की दर से गैस देने का प्रस्ताव किया है।
प्रधान ने इस बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र भी लिखा है। लेकिन प्रधान का कहना है कि केजरीवाल ने उनके पत्र का गंभीरता से जबाव नहीं दिया। प्रधान का कहना है कि दिल्ली सरकार आगे बढ़े तो दिल्ली के लिए बाहर से सीएनजी आयात करने की व्यवस्था करने में ज्यादा देरी नहीं होगी।प्रधान यहां सीएनजी से चलने वाले दोपहिया वाहनों की प्रायोगिक परियोजना की शुरुआत करने पर आयोजित समारोह के अवसर पर संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर कहा जाने लगा है जो काफी चिंता की बात है। दिल्ली सरकार को इसके लिए गंभीरता से कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने दिल्ली में ताप बिजली घरों को गैस आधारित बनाने का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर बदरपुर प्लांट को गैस आधारित कर दिया जाए तो सिर्फ इससे पर्यावरण की उतनी ही सुरक्षा होगी जितनी कि दिल्ली में 17 वर्षो तक कारें नहीं चलाने दिया जाए। जबकि यहां दिल्ली में जितनी बिजली चाहिए उसका बहुत ही कम हिस्सा बदरपुर प्लांट से उत्पादित होती है।
दिल्ली को 6500 से 7000 मेगावाट बिजली की जरुरत होती है और बदरपुर से सिर्फ 350 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। बवाना पावर प्लांट को वर्ष 2010 के कामनवेल्थ गेम्स से पहले शुरु करने की तैयारी थी लेकिन तब तक देश में गैस की किल्लत शुरु हो गई।
इस प्लांट की क्षमता 1500 मेगावाट है लेकिन 300 मेगावाट बिजली की पैदावार होती है। प्रधान ने कहा है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट बाजार से भी गैस खरीद कर लाया जाए तब भी बवाना से पैदा होने वाली बिजली सस्ती ही पड़ेगी।बहरहाल, प्रधान और वन व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने देश में पहली बार सीएनजी से चलने वाले दोपहिया वाहनों के पायलट प्रोजेक्ट का यहां शुभारंभ किया।
जावेडकर ने कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट को ज्यादा दिनों तक लटका कर नहीं रखा जाएगा बल्कि इस पर जल्द से जल्द अमल करने की रणनीति अपनाई जाएगी। जल्द ही इस पायलट प्रोजेक्ट को देश के दूसरे शहरों में भी आजमाया जाएगा।
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