आर्थिक सुधारों की रफ्तार थमी तो बाधित होगा निवेश: मूडीज
मौजूदा बुनियादी मजबूती व मौद्रिक नीति में नरमी से होगा फायदा, अमेरिका की ओर से ब्याज दरों में वृद्धि का भी हो सकता है असर।
मुंबई। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आगाह किया है कि भारत में आर्थिक सुधारों की रफ्तार टूटने पर निवेश बाधित हो सकता है। यह भारतीय कंपनियों के लिए एक प्रतिकूल बात होगी। मूडीज ने साथ ही यह भी कहा है कि ज्यादातर कंपनियों को देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा बुनियादी मजबूती और मौद्रिक नीति में नरमी से फायदा होगा।
कमजोर ग्लोबल रुख और अमेरिका की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी का भी भारतीय कंपनियों पर असर हो सकता है। एजेंसी का मानना है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और भूमि अधिग्रहण कानून जैसे प्रमुख सुधारों को लागू करने में सरकार की नाकामी से निवेश में बाधा आ सकती है। इससे संकेत जाएगा कि देश में सुधार प्रक्रिया पटरी से उतर गई है।
मूडीज के वीपी व सीनियर क्रेडिट ऑफिसर विकास हालन ने कहा कि मार्च 2016-17 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 7.5 फीसद रहने की उम्मीद है। मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी से कारोबार की वृद्धि में व्यापक मदद मिलेगी। इन अनुकूल घरेलू स्थितियों के बावजूद सुधार की गति कम होने से भारत की कंपनियों के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है।
मोदी सरकार इस साल अब तक जीएसटी और भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे सुधार संबंधी प्रमुख विधेयकों को पारित कराने में नाकाम रही है। राज्य सभा में सत्तारूढ़ गठबंधन बहुमत में नहीं है। ऐसे में इस बात के आसार बहुत कम हैं कि ये बिल कानून का रूप ले सकेंगे। कमजोर ग्लोबल ग्रोथ के बीच इन सुधारों का क्रियान्वयन न होने से निवेश प्रभावित होगा।
सत्तारूढ़ राजग सरकार ने कहा है कि वह जीएसटी बिल को पारित कराने के लिए कांग्रेस के साथ चर्चा करने को इच्छुक है। संसद का शीतकालीन सत्र गुरुवार से शुरू हो रहा है। सरकार की मंशा है कि वह एक अप्रैल, 2016 से जीएसटी को लागू करे। यह तभी संभव होगा जब आगामी सत्र में इसे संसद से हरी झंडी मिले।
यदि सरकार जीएसटी और भूमि अधिग्रहण जैसे जरूरी सुधार लागू नहीं कर पाती है तो निवेश को गहरा धक्का लग सकता है। नॉन-फाइनेंशियल कॉरपोरेट्स के लिए अपनी रिपोर्ट में मूडीज ने कहा कि जिंसों में नरमी से भारतीय उद्योगों को फायदा मिला। वजह यह है कि भारत कच्चे माल का कुल आयातक है। हालांकि, डॉलर के मुकाबले रुपये की उठापटक से उद्योगों को खतरा है।