टाटा नैनो का हाल देखने के बाद छोटी कार बाजार से कार कंपनियों ने मुंह फेरा
भारतीय कार बाजार शायद परिपक्वता की पहली पायदान पर पहुंचने की तैयारी में है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारतीय कार बाजार शायद परिपक्वता की पहली पायदान पर पहुंचने की तैयारी में है। ऑटो एक्सपो में मौजूद देशी विदेशी कार कंपनियों की अगले कुछ वर्षों की तैयारियों को देखने से ये साफ हो जाता है कि कम कीमत वाली सस्ती या एंट्री लेवल कारों को लेकर कंपनियों के बीच बहुत ज्यादा उत्साह नहीं है।
पिछले दो वर्षों के दौरान छोटी कारों की बिक्री की रफ्तार बढ़ने के बजाय कम हुई है जबकि कॉम्पैक्ट कारों व एसयूवी की बिक्त्री काफी तेजी से बढ़ रही है। यही वजह है देश के कार बाजार में अगले एक वर्ष के दौरान छोटी कारों के बाजार में बमुश्किल दो नए लांच होने है। जबकि इस दौरान एक दर्जन काम्पैक्ट व काम्पैक्ट एसयूवी कारों की लांचिंग पाइपलाइन में है।
हुंडई मोटर इंडिया के एमडी वाई के कू का स्पष्ट कहना है कि उनकी कंपनी अब प्रीमियम वर्ग में अपनी पहचान बनाने पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है। एंट्री लेवल के लिए कंपनी के पास कोई नई योजना नहीं है। इस वर्ग के लिए कंपनी के पास इयोन मॉडल है और फिलहाल उसी से काम चलाने की तैयारी है। यही हाल मारुति सुजुकी की भी है। एस-क्त्रास, बालेनो के बाद कंपनी की अगले दो वषरें तक अभी सिर्फ कॉम्पैक्ट या एसयूवी वाहनों को ही लाचिंग की योजना है।
मारुति सुजुकी के अधिशासी निदेशक (बिक्त्री व विपणन) आर एस कलसी का कहना है कि भारतीय कार बाजार में ऐसे ग्राहकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जो अपनी जिंदगी की दूसरी कार खऱीद रहे हैं। कारों को लेकर इनकी उम्मीदें अब बढ़ गई हैं। यही नहीं अब पहली बार भी कार खऱीदने वालों में युवा प्रोफेशन्लस की संख्या काफी ज्यादा है। इन्हें कार में सब कुछ चाहिए जो छोटी कारों में नहीं मिलता।
छोटी कारों के बिक्त्री देखे तो यह महीने दर महीने घट रही है। अप्रैल से नवंबर, 2014 में 800 सीसी क्षमता की 4.00383 कारों की खरीद हुई थी जो चालू वित्त वर्ष की समान अवधि में घट कर 3.97 लाख रह गई है। दूसरी तरफ 1000 सीसी से 1400 सीसी क्षमता में कारों की बिक्त्री इस दौरान 9.03 लाख से बढ़ कर 10.01 लाख हो गई है।
सबसे ज्यादा बढ़ोतरी सुपर कॉम्पैक्ट वर्ग में हुई है। इस वर्ग में बिक्त्री 49,645 से बढ़ कर 61,201 हो गई है। कहने की जरुरत नहीं कि मारुति, हुंडई, टाटा मोटर्स, फ़ॉक्सवैगन, फोर्ड की नजरें इस वर्ग के ग्राहकों पर ही टिकी हुई है। ऑटो उद्योग के जानकारों के मुताबिक 800 सीसी और 1000 सीसी क्षमता के कारों की बिक्त्री ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बिगड़ने की वजह से भी प्रभावित हुई है।
कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि छोटी कार बाजार मे टाटा मोटर्स की नैनो की दशा देखने के बाद कई कंपनियों ने छोटी कार बाजार में नए उत्पाद लाने की अपनी योजना को टाल दिया। चार वर्ष पहले जब नैनो को उतारा गया था तब कई कंपनियों ने कहा था कि वह इस इंट्री लेबल में उतरने की सोच रही हैं लेकिन नैनो की असफलता के बाद इन्होंने अपनी योजना स्थगित कर दी है।