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सीएनजी के टिकाऊ बिजनेस माडल पर हो रहा है विचार

मनाली रोहतांग पास पर सीएनजी उपलब्धता के मामले को लेकर पैट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय ने सुप्रीमकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर जानकारी दी है।

By Anand RajEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2016 01:03 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2016 04:56 AM (IST)
सीएनजी के टिकाऊ बिजनेस माडल पर हो रहा है विचार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मनाली रोहतांग पास में सीएनजी उपलब्धता के टिकाऊ बिजनेस माडल पर विचार चल रहा है। गेल और हिमाचल प्रदेश सरकार मिल कर इस पहलू पर विचार कर रहे हैं। ये जानकारी पैट्रोलियम मंत्रालय ने सुप्रीमकोर्ट में दाखिल हलफनामे मे दी है।

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बात ये है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने पर्यावरण के लिहाज से मनाली रोहतांग पास में पैट्रोल और डीजल गाडि़यों की संख्या सीमित कर दी है। अब मामला वहां सीएनजी गाडि़यां चलाने के लिए सीएनजी की उपलब्धता का है। रोजीरोटी की दुहाई दे हिमाचल टैक्सी आपरेटरों ने सुप्रीमकोर्ट में गुहार लगाई है। सुप्रीमकोर्ट ने पैट्रोलियम एवं नेचुरल गैस मंत्रालय को हलफनामा दाखिल कर वहां सीएनजी स्टेशनों की स्थापना और सीएनजी की उपलब्धता की स्थिति बताने को कहा था।

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शुक्रवार को मामले की सुनवाई होनी थी। पैट्रोलियम मंत्रालय की ओर से वकील हरीश खिंची पेश हुए और उन्होंने ताजा हलफनामे की जानकारी दी। लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार के वकील उपलब्ध नहीं थे। उधर अन्य पक्षकारों ने भी सरकार के हलफनामे का जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा जिस पर सुनवाई पांच जुलाई तक के लिए टल गई।

मंत्रालय ने हलफनामे में मनाली रोहतांग पास में सीएनजी की उपलब्धता पर अब तक हुई प्रगति का ब्योरा दिया है। कहा है कि एनजीटी के आदेश पर सीएनजी स्टेशनों की स्थापना और सीएनजी की उपलब्धता के बारे में हिमाचल प्रदेश सरकार और गेल के बीच बैठकें हुईं।

सारे आंकलन के बाद पता चला कि इसमें करीब 17.421 करोड़ का खर्च आएगा। तय पाया गया कि ये खर्च हिमाचल सरकार उठाएगी। लेकिन एनजीटी ने 28 मार्च को हिमाचल से कहा कि वह केंद्र से 17.5 करोड़ का खर्च उठाने का अनुरोध करे।

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राज्य ने एनजीटी के आदेश पर केंद्र से अनुरोध किया। जिस पर केंद्र ने बताया कि पैट्रोलियम मंत्रालय देश में कहीं भी सीएनजी स्टेशन स्थापित नहीं करता और न ही इसके लिए कोई बजट है। लेकिन एनजीटी ने मंत्रालय को फिर से मांग पर विचार करने और इस बारे में सबके साथ मिल कर बैठक करने का निर्देश दिया। जिसके बाद सभी के साथ बैठक हुई जिसमें पाया गया कि 17.5 करोड़ के खर्च का मुद्दा इसलिए आ रहा है क्योंकि तैयार माडल मौसम और वर्किग सीजन को देखते हुए सीमित समय के लिए था।

इस खर्च को कम करने के लिए सीएनजी की उपलब्धता को लंबे समय के लिए करने और टिकाऊ बिजनेस माडल तैयार करने की जरूरत है। मंत्रालय ने गेल और प्रदेश को इस बारे में टिकाऊ बिजनेस माडल तैयार करने को कहा है जिस पर अभी विचार चल रहा है।

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