करदाताओं की संख्या बढ़ाना बड़ी चुनौती
वित्त मंत्री अरुण जेटली पर आम बजट 2016-17 में आयकर से छूट की सीमा बढ़ाने की चौतरफा मांग का दबाव भले ही हो लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती व्यक्तिगत करदाता आधार यानि करदाताओं की संख्या बढ़ाना है।
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली पर आम बजट 2016-17 में आयकर से छूट की सीमा बढ़ाने की चौतरफा मांग का दबाव भले ही हो लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती व्यक्तिगत करदाता आधार यानि करदाताओं की संख्या बढ़ाना है।
सरकार के अब तक तमाम प्रयासों के बावजूद प्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में वांछित वृद्धि नहीं हुई है। हाल यह है कि सवा अरब की आबादी वाले देश में पांच करोड़ भी व्यक्तिगत करदाता नहीं हैं। ऐसे में वित्त मंत्री पर राजकोषीय नीति को दिशा देते वक्त करदाताओं का आधार बढ़ाने का दबाव होगा।
वित्त मंत्रलय के अनुसार आकलन वर्ष 2014-15 में देश में मात्र 4.86 करोड़ व्यक्तिगत करदाता थे जबकि आकलन वर्ष 2013-14 में इनकी संख्या 4.90 करोड़ थी। इस तरह व्यक्तिगत करादाताओं की संख्या में वृद्धि के बजाय कमी दर्ज की गई।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में भी एक करोड़ नए करदाता जोड़ने का लक्ष्य रखा था लेकिन अब तक इस दिशा में कुछ खास प्रगति नहीं हुई है। इसका अंदाजा चुनिंदा शहरों में नए करदाताओं को जोड़ने के संबंध में हुई प्रगति से लगाया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक मुंबई में महज 1.7 लाख नए करदाता जोड़े गए हैं जबकि वहां 6.23 लाख नए करदाता जोड़ने का लक्ष्य था।
सूत्रों ने कहा कि प्रत्यक्ष कर दाताओं की संख्या में वृद्धि न होने का ही परिणाम है कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में वांछित वृद्धि नहीं हो रही है। मसलन चालू वित्त वर्ष में सरकार ने प्रत्यक्ष कर संग्रह से जितनी धनराशि वसूलने का लक्ष्य बजट में रखा था, उससे 40 हजार करोड़ रुपये राशि जुटने की उम्मीद है। ऐसे में प्रत्यक्ष करदाताओं का आधार व्यापक होता तो इसकी भरपाई आसानी से की जा सकती थी।
बीते वर्षो में करदाताओं का आधार न बढ़ने का एक परिणाम यह भी है कि कुल कर राजस्व में प्रत्यक्ष कर का योगदान लगातार कम हो रहा है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2009-10 में कुल कर राजस्व में प्रत्यक्ष करों का योगदान 60 प्रतिशत से अधिक था लेकिन वित्त वर्ष 2014-15 में यह घटकर मात्र 56.11 प्रतिशत रह गया है। कर आधार में वृद्धि न होने की वजह से सरकार के लिए आगामी बजट में आयकर से छूट की सीमा में भारी वृद्धि करना मुश्किल होगा।
सूत्रों ने कहा कि कर छूट सीमा में वृद्धि न करने की दूसरी थोक महंगाई की नीची दरें हैं। महंगाई दरें काफी कम हैं, इसीलिए सरकार पर कर छूट देकर करदाताओं को राहत देने का दवाब भी कम होगा।