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कम वर्षा कृषि और विकास के मोर्चे पर खतरा

सामान्य से कम वर्षा होने से कृषि उत्पादन पर नुकसान होने के साथ ही आर्थिक विकास के धीमा होने का खतरा भी मंडरा रहा है। ग्लोबल वित्तीय फर्म सिटीग्रुप के विशेषज्ञों ने यह आशंका जताई है। फर्म की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल की बेमौसमी बारिश ने रबी

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2015 12:06 AM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2015 01:30 AM (IST)
कम वर्षा कृषि और विकास के मोर्चे पर खतरा

नई दिल्ली। सामान्य से कम वर्षा होने से कृषि उत्पादन पर नुकसान होने के साथ ही आर्थिक विकास के धीमा होने का खतरा भी मंडरा रहा है। ग्लोबल वित्तीय फर्म सिटीग्रुप के विशेषज्ञों ने यह आशंका जताई है। फर्म की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल की बेमौसमी बारिश ने रबी की 10 प्रतिशत फसल खराब कर दी है।

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केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से वित्त वर्ष 2014-15 के लिए अनुमानित विकास दर 7.4 प्रतिशत के कम रहने की आशंका है। अगले वित्त वर्ष 2015-16 में अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की 8.1 फीसद की वृद्धि दर में भी कमी दर्ज हो सकती है। इससे कृषि वृद्धि दर में भी 3.6 प्रतिशत की कमी आ सकती है। कमजोर बारिश से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जैसी सकारात्मक सरकारी नीतियों पर खतरा है, फिर भी उचित खाद्यान्न भंडारण प्रबंधन से महंगाई का असर थोड़ा कम हो सकता है।

मौसम विभाग ने बुधवार को अनुमान जाहिर किया कि इस बार के लगातार दूसरे वर्ष देश में मानसून कमजोर रह सकता है। इसके पीछे अल नीनो को आंशिक रूप से जिम्मेवार माना जा रहा है। मानसूनी वर्षा खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि केवल 40 प्रतिशत कृषि भूमि ही सिंचित है।

जीडीपी में कृषि क्षेत्र का करीब 15 प्रतिशत ही योगदान है, लेकिन 60 प्रतिशत आबादी को रोजगार यही क्षेत्र मुहैया कराता है। मौसम विभाग के अनुमान के एक दिन बाद ही केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि अनुमान के अनुसार यदि कोई विपरीत स्थिति पैदा होती है तो उससे निपटने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है।

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