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भविष्य में बैंकों को मजबूरन घटानी होंगी ब्याज दरें

निकट भविष्य में बैंकों को मजबूरन ब्याज दरें घटानी पड़ेंगी। कर्ज की मांग बढ़ाने के लिए उनके पास कोई दूसरा उपाय नहीं है। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के विश्लेषकों का कहना है कि मजबूरी में ही सही, लेकिन कॉमर्शियल बैंक ग्राहकों को ब्याज दरों में ज्यादा राहत देंगे। एजेंसी की

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Wed, 13 May 2015 08:41 AM (IST)Updated: Wed, 13 May 2015 08:51 AM (IST)
भविष्य में बैंकों को मजबूरन घटानी होंगी ब्याज दरें

मुंबई। निकट भविष्य में बैंकों को मजबूरन ब्याज दरें घटानी पड़ेंगी। कर्ज की मांग बढ़ाने के लिए उनके पास कोई दूसरा उपाय नहीं है। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के विश्लेषकों का कहना है कि मजबूरी में ही सही, लेकिन कॉमर्शियल बैंक ग्राहकों को ब्याज दरों में ज्यादा राहत देंगे। एजेंसी की तरफ से मंगलवार को एक रिपोर्ट जारी की गई। इसमें बैंकों की एसेट क्वालिटी को लेकर चिंता भी जताई गई है।

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रिजर्व बैंक ने इस साल जनवरी से लेकर अब तक दो बार में रेपो रेट को 0.50 फीसद घटाया है। फिलहाल, बैंकों ने अब तक इसका पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दिया है। उनका कहना है कि फंड की लागत अधिक होने के कारण ऐसा कर पाना संभव नहीं है। क्रिसिल के डायरेक्टर रजत बहल ने कहा कि नए कर्ज की मांग कम हो गई है। ऐसे में क्रेडिट ग्रोथ बढ़ाने के लिए बैंकों को नीतिगत ब्याज दरों में की गई कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को देना ही होगा। घरेलू बैंक फंसे कर्ज की परेशानी से उबरने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। बहल का कहना है कि उधारी दरें घटाने से यह मुश्किल कम करने में मदद मिल सकती है क्योंकि ऐसा करने से कम कर्ज लेने वालों को बड़ी राहत मिलेगी। क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में बैंकों की एसेट क्वालिटी को लेकर चिंता जताई है। एजेंसी के मुताबिक वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान बैंकों की एसेट क्वालिटी में सुधार की गुंजाइश कम है।

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