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भारत में बैंकों का रवैया उपभोक्ताओं के अनुकूल नहीं: आइएमएफ

ब्याज दरों में बदलाव के मुद्दे पर भारतीय बैंकों का रवैया उपभोक्ताओं के अनुकूल नहीं रहता। लेकिन भारतीय बैंक कर्ज पर ब्याज दर बढ़ाने के मामले में तो तुरंत कदम उठाते हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब जमा पर ब्याज दर बढ़ाने की बात आती

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2015 12:33 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2015 03:56 PM (IST)
भारत में बैंकों का रवैया उपभोक्ताओं के अनुकूल नहीं: आइएमएफ

वॉशिंगटन। ब्याज दरों में बदलाव के मुद्दे पर भारतीय बैंकों का रवैया उपभोक्ताओं के अनुकूल नहीं रहता। लेकिन भारतीय बैंक कर्ज पर ब्याज दर बढ़ाने के मामले में तो तुरंत कदम उठाते हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब जमा पर ब्याज दर बढ़ाने की बात आती है तो उनका रवैया काफी ढीला रहता है। आइएमएफ के अनुसंधान पत्र में कहा गया है कि आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों में कटौती की घोषणा के बाद ब्याज दरों में बदलाव की रफ्तार धीमी रही है।

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आइएमएफ की अर्थशास्त्री सोनाली दास के एक अनुसंधान पत्र 'भारत की मौद्रिक नीति : बैंक ब्याज दर का प्रेषण' में कहा गया है कि नीतिगत दर में बदलावों का बैंक ब्याज दरों में अंतरण धीमा रहा है। इसके ताजा सबूत हाल में दिखाई दिए हैं।'

उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति का समायोजन मुश्किल है। हाल के वर्षों में नीतिगत दर में बदलाव कि साथ ही जमा और ऋण पर ब्याज दर में संतुलन साधने की गति बढ़ी है। इससे पहले भी आइएमएफ ने इस मामले को सामने रखा था कि भारतीय बैंक, केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति में सख्ती पर ज्यादा तेजी से अमल करते हैं। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन समेत कई लोगों ने कहा था कि बैंक नीतिगत दर में कटौती का फायदा देने से बचते हैं।

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