सामाजिक दबाव बनाकर एनपीए वसूलने में जुटा पीएनबी
फंसे कर्जे में आकंठ डूबा देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक पंजाब नेशनल बैंक इससे उबरने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहा है।
नई दिल्ली। फंसे कर्जे में आकंठ डूबा देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक पंजाब नेशनल बैंक इससे उबरने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहा है। कुछ तरीके तो वाकई नायाब हैं। मसलन, बैंक अधिकारियों का दल कर्ज नहीं लौटाने वाले ग्राहकों को उनके ही मुहल्ले में "सामाजिक अभिनंदन" कर रहा है और उन्हें फूल के गमले भेंट कर रहा है।
सामाजिक दबाव बनाने की यह नीति कुछ हद तक काम भी कर रही है। पीएनबी की एमडी उषा अनंतसुब्रह्माण्यम ने बताया कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंक ने फंसे कर्ज खातों से 6006 करोड़ रुपये की वसूली की है।
जबकि पिछले पूरे वित्त वर्ष के दौरान 4500 करोड़ रुपये की राशि वसूली गई थी। हालांकि इसके बावजूद कुल अग्रिम की तुलना में फंसे कर्जे (एनपीए) का अनुपात बढ़कर 13.75 फीसद के करीब पहुंच चुका है।
गुरुवार को बैंक ने पहली तिमाही के वित्तीय नतीजों की घोषणा की है। अप्रैल से जून, 2016 के दौरान बैंक ने 306 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है। वैसे तो यह अप्रैल-जून, 2015 में दर्ज 721 करोड़ रुपये के शुद्ध मुनाफे से 50 फीसद से भी कम है लेकिन अगर पिछले वित्त वर्ष के दौरान दर्ज 5,367 करोड़ रुपये के घाटे से इसकी तुलना करें तो कहा जा सकता है कि सुधार के संकेत हैं।
यह लाभ तब हुआ है जब पीएनबी ने इस दौरान 3,620 करोड़ रुपये का समायोजन भी किया है। जहां तक एनपीए की बात है तो नए एनपीए भी बन रहे हैं। जून, 2016 को समाप्त तिमाही में कुल अग्रिम के मुकाबले यह आंकड़ा 13.75 फीसद हो गया है। सकल एनपीए की राशि पिछले एक वर्ष में दोगुनी होकर 56,654 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो चुकी है।
उषा का कहना है कि बैंक सौ करोड़ रुपये से ज्यादा राशि वाले सभी एनपीए खाताधारकों के मामले को वार रूम में निपटा रहा है। हर ग्राहक से अलग-अलग तरीके से कर्ज वसूलने की कोशिश हो रही है। कई मामलों में सीधे इन ग्राहकों की सोसायटी या उनके मुहल्ले में हमारे प्रतिनिधि जाते हैं।
ग्राहक पर समाजिक दबाव बनाने की तरकीब आजमाई जाती है। जिन ग्राहकों के बारे में पता है कि वे जानबूझ कर कर्ज नहीं लौटा रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी हो रही है।
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