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बंसल और अश्विनी मसले से सुधारों की गाड़ी धीमी

आम बजट के बाद आर्थिक सुधारों की रफ्तार बढ़ाने के सरकारी मंसूबों पर बंसल-अश्विनी मसले ने पानी फेर दिया है। इस मुद्दे पर सरकार के फंसने की वजह से अन्य मसलों के साथ साथ रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत देने के लिए हो रही बातचीत का सिलसिला भी रुक सा गया है।

By Edited By: Published: Sat, 11 May 2013 09:16 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2013 09:20 AM (IST)
बंसल और अश्विनी मसले से सुधारों की गाड़ी धीमी

नई दिल्ली,(नितिन प्रधान)। आम बजट के बाद आर्थिक सुधारों की रफ्तार बढ़ाने के सरकारी मंसूबों पर बंसल-अश्विनी मसले ने पानी फेर दिया है। इस मुद्दे पर सरकार के फंसने की वजह से अन्य मसलों के साथ साथ रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत देने के लिए हो रही बातचीत का सिलसिला भी रुक सा गया है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम और वाणिज्य, उद्योग व टेक्सटाइल मंत्री आनंद शर्मा ने इस मसले पर फिलहाल अपने पांव खींच लिए हैं।

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आर्थिक सुधारों की रफ्तार बढ़ाने के मकसद से सरकार का इरादा मल्टी ब्रांड और सिंगल ब्रांड रिटेल के बाद रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ की इजाजत देने का था। इसकी कमान आनंद शर्मा कमान संभाले हुए थे। रक्षा मंत्रलय की भी राय लगातार ली जा रही थी।

सूत्र बताते हैं कि शर्मा के मंत्रलय ने इस संबंध में कैबिनेट नोट तक तैयार कर लिया है। इस पर बीते हफ्ते ही शर्मा और चिदंबरम की बैठक होनी तय थी। मगर पवन बंसल के भांजे की गिरफ्तारी और कोयला घोटाले की जांच में सीबीआइ रिपोर्ट को लेकर हुए बवाल के बाद ऐन मौके पर यह बैठक टाल दी गई।

अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों की तरफ से आर्थिक सुधारों के लिए पड़ रहे दबावों के चलते सरकार रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ की इजाजत देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। पेंच सिर्फ इस बात पर अटका है कि किन रक्षा इकाइयों में कितनी एफडीआइ की इजाजत हो। इसी को सुलझाने की जिम्मेदारी शर्मा और चिदंबरम को सौंपी गई थी। संसद ठप होने के इसके चलते भूमि अधिग्रहण और खाद्य सुरक्षा विधेयक को भी सरकार बजट सत्र में पारित नहीं करा पाई। दोनों ही विधेयक सरकार की सुधार प्रक्रिया का अहम हिस्सा है।

देश के मौजूदा राजनीतिक हालात में फिलहाल इन सुधारों पर आगे बढ़ने की कोई गुंजाइश भी दिखाई नहीं दे रही है। हालांकि, सूत्र बताते हैं कि मानसून सत्र में सरकार फिर इन विधेयकों को पारित कराने का प्रयास करेगी। जहां तक रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ की मंजूरी का सवाल है, मौजूदा राजनीतिक हलचल खत्म होने के बाद सरकार इस दिशा में कदम आगे बढ़ाएगी।

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