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जेटली ने की ब्रिक्स की अपनी पंचाट की पैरवी

ब्रिक्स में अंतरराष्ट्रीय पंचाट पर आयोजित सम्मेलन में अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि विश्व के मौजूदा मंदी के दौर से बाहर निकलने के बाद उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में विकास दर बढ़ेगी।

By Atul GuptaEdited By: Published: Sat, 27 Aug 2016 09:44 PM (IST)Updated: Sun, 28 Aug 2016 10:33 AM (IST)
जेटली ने की ब्रिक्स की अपनी पंचाट की पैरवी

नई दिल्ली, प्रेट्र। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ब्रिक्स देशों के अपनी खुद की पंचाट (एट्रिबिशन) प्रणाली विकसित करने का आधार तय किया है। उनका कहना है कि विकासशील सदस्य देशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि विकसित देशों के साथ पंचाट का लाभ उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के खिलाफ न हो।

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ब्रिक्स में अंतरराष्ट्रीय पंचाट पर आयोजित सम्मेलन में अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि विश्व के मौजूदा मंदी के दौर से बाहर निकलने के बाद उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में विकास दर बढ़ेगी। इसलिए विवादों के निवारण की प्रणाली को अभी दुरुस्त करना होगा। ताकि विभिन्न देशों के बीच व्यापार बढ़े। कई देश भयभीत हैं कि समझौतों का बोझ उभरती हुई अर्थव्यवस्था होने के नाते उन पर डाला जाएगा। इसलिए पूरे विश्व में उसके समानांतर व्यवस्था बनाने की जरूरत है। लंदन और पेरिस को अकेला छोड़ दें। अब हम देख रहे हैं कि सिंगापुर उभरता हुआ पंचाट केंद्र बन रहा है। इसलिए ब्रिक्स देशों को अपने व्यापारिक विवाद सुलझाने के लिए अपनी एक पंचाट बनाने की जरूरत है।

अंतरराष्ट्रीय पंचाट में मिले अधिक हिस्सेदारी

केंद्रीय कानून व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ताज्जुब जताया है कि अंतरराष्ट्रीय विवाद निपटान तंत्र में गैर-पश्चिमी देशों के आर्बिट्रेटर्स (पंचों) की संख्या क्यों बहुत कम है। अंतरराष्ट्रीय पंचाट की पक्षपातपूर्ण प्रकृति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस तंत्र में भारतीय प्रतिनिधित्व मामूली है। कुछ विकसित देशों ने वहां कब्जा जमाया हुआ है। भारतीय न्यायापालिका ने कुछ सर्वोच्च न्यायाधीश दिए हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय पंचाट में क्यों उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है। यहां 'इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन इन ब्रिक्स' विषय पर आयोजित एक सम्मेलन के दौरान प्रसाद बोले रहे थे।

पढ़ें- नई दिल्ली में 2 सितंबर से शुरू होगा ब्रिक्स फिल्म समारोह


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