आधार कार्ड बचाएगा हजार करोड़ रुपये
'आधार' देश की दूरसंचार कंपनियों के हर साल एक हजार करोड़ रुपये बचा सकता है। कंपनियां यह बचत अपने ग्राहकों के नाम-पते के सत्यापन में आधार कार्ड के इस्तेमाल करने से कर सकेंगी। यही नहीं इसके इस्तेमाल से केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) की न्यूनतम पेपरवर्क की परिकल्पना को भी साकार किया जा सकेगा।
नई दिल्ली। 'आधार' देश की दूरसंचार कंपनियों के हर साल एक हजार करोड़ रुपये बचा सकता है। कंपनियां यह बचत अपने ग्राहकों के नाम-पते के सत्यापन में आधार कार्ड के इस्तेमाल करने से कर सकेंगी। यही नहीं इसके इस्तेमाल से केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) की न्यूनतम पेपरवर्क की परिकल्पना को भी साकार किया जा सकेगा।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण [यूआइडीएआइ] की ओर से कराए गए एक शोध में पता चला है कि इस कार्ड के इस्तेमाल से टेलीकॉम कंपनियों को काफी सहूलियत होगी। आधार पहचान पत्र परियोजना की ऑनलाइन सेवा के जरिए फोनधारकों का आसानी से सत्यापन किया जा सकता है।
यूआइडीएआइ की ओर से लागू आधार परियोजना में हर व्यक्ति को एक यूनीक नंबर देने का प्रस्ताव है। प्राधिकरण ने छह करोड़ लोगों को पंजीकृत करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें अब तक दो करोड़ का पंजीकरण हो चुका है। यूआइडीएआइ के शोध के मुताबिक, एक बात साफ है कि आधार के इस्तेमाल से ग्राहकों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इससे कागजी खानापूरी न होने पर लगने वाले अर्थदंड से भी बचा जा सकेगा। यह अर्थदंड उन मोबाइल ऑपरेटरों पर लगता है, जो अपने उपभोक्ताओं के नाम और पते को तय नियमों के आधार पर सत्यापित नहीं करवा पाते। दूरसंचार प्रबंधन, प्रवर्तन एवं निगरानी सेल ने वर्ष 2010-2011 में टेलीकॉम ऑपरेटरों पर सत्यापन में गड़बड़ी के चलते 700 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। टेलीकॉम कंपनियां हर महीने तकरीबन तीन करोड़ मोबाइल फोन कनेक्शन जारी करतीं हैं।
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