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अब बोर्ड के फैसलों का खुलासा आधे घंटे में करना होगा कंपनियों को: सेबी

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By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Mon, 23 Mar 2015 11:29 AM (IST)Updated: Mon, 23 Mar 2015 11:37 AM (IST)
अब बोर्ड के फैसलों का खुलासा आधे घंटे में करना होगा कंपनियों को: सेबी

मुंबई। सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) की रविवार को हुई निदेशक मंडल की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। अब शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए डिसक्लोजर नियम सख्त होते जा रहे हैं। बाजार नियामक सेबी ने फैसला किया है कि इन कंपनियों को बोर्ड बैठक में लिए गए निर्णयों को बैठक खत्म होने के 30 मिनट के भीतर स्टॉक एक्सचेंजों को बताना होगा। जबकि अन्य निर्णयों को सार्वजनिक करने के लिए कंपनियों को चौबीस घंटे का समय मिलेगा।

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रविवार को यहां हुई सेबी की बोर्ड बैठक में तय हुआ कि कंपनियों को इस तरह के सभी निर्णयों को जल्द से जल्द सार्वजनिक करना होगा। सेबी द्वारा निश्चित समयसीमा के भीतर स्टॉक एक्सचेंजों के जरिये शेयरधारकों तक जानकारी पहुंचाना अनिवार्य शर्त है। डिसक्लोजर नियमों को और ज्यादा सख्त भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आज वित्त मंत्री अरूण जेटली के साथ यहां एक बैठक में पेंशन निधि के पैसे को प्रतिभूति बाजार में लगाये जाने और निवेश की नई योजना रीयल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रेईट) के विकास के लिये और अनुकूल वातावरण बनाये जाने पर जोर दिया।

सेबी बोर्ड की बैठक में वित्त मंत्री ने पूंजी बाजार के हालात की समीक्षा की। आम बजट के बाद सेबी के निदेशक मंडल के साथ वित्त मंत्रालय की यह पहली बैठक थी। इसमें वित्त मंत्री ने वायदा बाजार आयोग को सेबी के साथ मिलाने और अन्य मुद्दों पर चर्चा की। वित्त मंत्री ने प्रतिभूति बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों तथा घरेलू संस्थागत निवेशकों के रूझानों पर भी चर्चा की। बैठक के बाद जेटली ने कहा कि उन्होंने उन सभी मुद्दों पर चर्चा की जिनसे सेबी को दो-चार होना पड़ रहा है।


उन्होंने कहा कि इसके अलावा आम बजट के विभिन्न प्रस्तावों के संदर्भ में भी सेबी के कार्यों पर चर्चा की गयी। जेटली ने कहा, 'उनकी ओर से सेबी में क्षमता के निर्माण के बारे में बात की गयी। यह विषयों को समझने की क्षमता और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं से निपटने की क्षमता दोनों के संदर्भ में थी।Ó बैठक में वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के अलावा सेबी चेयरमैन यू के सिन्हा शामिल थे।


साथ ही तीन पूणर्कालिक सदस्य (प्रशांत सरण, राजीव अग्रवाल और एस रमण), एक स्वतंत्र निदेशक तथा वित्त मंत्रालय तथा कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा नामित सदस्य इसमें शामिल हुए। सिन्हा ने बताया कि वायदा बाजार नियामक एफएमसी का सेबी के साथ विलय के प्रस्ताव को अमल में लाया जाएगा। इसके लिए एफएमसी और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ सेबी बातचीत की प्रक्रिया में है। एफएमसी कमोडिटी एक्सचेंजों का रेगुलेटर है।

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