1924 से 2016 तक ओलंपिक में देश का नाम इन महिलाओं ने किया है रोशन
1924 में पहली बार 2 महिला खिलाडि़यों ने ओलिंपिक में भाग लिया था। आज हम आपको बताएंगे ओलंपिक में कब-कब किस महिला खिलाड़ी ने देश का नाम रोशन किया है।
रियो ओलंपिक से पहले किसी ने इन महिलाओँ को उम्मीदवारों की तरह नहीं देखा था। लेकिन इन्ही महिला खिलाड़ियों ने अपनी चमक बिखेरते हुए भारत को ब्राजील के शहर से खाली हाथ लौटने से बचा लिया। जी हां हम बात कर रहे है साक्षी मलिक और पी वी सिंधु की जिनकी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास की बदौलत ही भारत रियो से खाली हाथ नहीं लौटा। 1924 में पहली बार 2 महिला खिलाडि़यों ने ओलिंपिक में भाग लिया था। आज हम आपको बताएंगे ओलंपिक में कब-कब किस महिला खिलाड़ी ने देश का नाम रोशन किया है।
पी वी सिंधु
सिंधु 21 वर्ष की उम्र में ओलंपिक मेडल जीतने वाली सबसे युवा खिलाड़ी बन गयी जिन्होंने सिल्वर मेडल जीता जो बैडमिंटन में पहले कभी नहीं आया। 10 अगस्त 2013 में सिंधु ऐसी पहली भारतीय महिला बनीं जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में मेडल जीता था। सिंधु ने अपने पिता के खेल वॉलीबॉल के बजाय बैडमिंटन इसलिए चुना क्योंकि वे पुलेला गोपीचंद को अपना आदर्श मानती हैं। सौभाग्य से वही उनके कोच भी हैं।
साक्षी मलिक
साक्षी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता और यह भी महिला कुश्ती में पहली बार आया।साक्षी ने 2002 में अपने कोच ईश्वर दहिया के साथ पहलवानी शुरु की, उन्हें शुरु में विरोध भी झेलना पड़ा। लेकिन आख़िरकर 2016 में उनका सपना पूरा हुआ।
साइना नेहवाल
साइना नेहवाल ने 2012 ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।बैडमिंडन में ओलंपिक मेडल जीतने वाली वो पहली भारतीय महिला खिलाड़ी थीं। वो 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक भी जीत चुकी हैं।
मेरी कॉम
पांच बार की विश्व चैंपियन मुक्केबाज़ एमसी मेरी कॉम रियो ओलंपिक में तो नहीं खेल पाईं लेकिन 2012 में उन्होंने लंदन ओलंपिक में भारत को मुक्केबाज़ी में पदक दिलाया था. उन्होंने एशियन चैंपियनशिप में चार बार गोल्ड मेडल और 2014 के एशियन गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीता था
कर्णम मल्लेश्वरी
ओलंपिक के इतिहास में पहली भारतीय महिला विजेता होने का श्रेय कर्णम मल्लेश्वरी को जाता है। सिडनी ओलंपिक में उनके मेडल जीतने से पहले भारत की किसी महिला ने ओलंपिक मेडल नहीं जीता था।उन्होंने महिलाओं के 69 किलोवर्ग की भारोत्तोलन प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था।
दीपा कर्माकर
भारत की पहली महिला जिमनास्ट दीपा ब्रॉन्ज पदक से महज 0.150 अंक के अंतर से चूक गयी लेकिन उसकी जोखिम भरी प्रोदुनोवा वॉल्ट ने देशवासियों का दिल जीत लिया।
ललिता बाबर
ललिता बाबर ओलंपिक इतिहास में 32 साल बाद ट्रैक स्पर्धा के फाइनल के लिये क्वालीफाई होने वाली दूसरी भारतीय महिला बनी, उनसे पहले पीटी उषा ने लॉस एंजिल्स 1984 में यह कारनामा किया था। ललिता 3000 मीटर स्टीपलचेज में 10वें स्थान पर रही।
पढ़ें- मिलिए आज के जमाने की उन 10 सिगर्स से जिनकी जादुई आवाज कर देती है मदहोश